विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ
वेदान्त के अनुसार ध्यान
२ मई, १९००, कैम्प टेलर (उत्तरी कैलीफोर्निया), में स्वामीजी की प्रथम रात्रि। मैं आँखें बन्द करके उन्हें उस मन्द अन्धकार में देख रही थी जिसमें से होकर लकड़ी के धधकते लट्ठे से उठती चिनगारियाँ उड़ रही थीं तथा ऊपर प्रतिपदा का चाँद था। वे लम्बे व्याख्यान-काल के कारण क्लान्त परन्तु वहाँ आने के कारण आराम में थे। उन्होंने कहा, 'हम जिस प्रकार वन में अपना जीवन प्रारम्भ करते हैं वैसे ही वहीं पर इसकी परिसमाप्ति करते हैं - परन्तु इन दो अवस्थाओं में बहुत-से अनुभव के साथ।' बाद में छोटी-सी वार्तालाप के बाद जब प्रतिदिन की तरह हम ध्यान में बैठने ही वाले थे तो उन्होंने कहा, 'तुम लोग अपनी रुचि के अनुसार किसी भी (ध्येय विषय) पर ध्यान लगा सकते हो, परन्तु मैं तो सिंह के हृदय पर ध्यान लगाऊँगा। यह शक्तिदायी है।' इसके बाद ध्यान से जो आनन्द, शक्ति तथा शान्ति मिली वह अवर्णनीय है।
(रिमिनिसेन्सिज़ ऑफ स्वामी विवेकानन्द [अंग्रेजी], इडा अन्सेल, आवृत्ति १९९९, पृष्ठ ९९)
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