विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
लक्ष्य और उसकी प्राप्ति के उपाय
जिस प्रकार हर एक विज्ञानशास्त्र के अपने अलग अलग तरीके होते हैं, उसी प्रकार प्रत्येक धर्म में भी है। धर्म के चरम लक्ष्य की प्राप्ति के तरीकों या साधनों को हम योग कहते हैं। धर्म के ध्येय की प्राप्ति के उपायों को हम योग कहते हैं तथा योग के विभिन्न प्रकार जो हम सिखाते हैं वे मनुष्यों के विभिन्न स्वभावों तथा चित्तप्रवृत्तियों के अनुकूलित होते हैं। उनके निम्नलिखित चार विभाग हैं -
१. कर्मयोग - इसके अनुसार मनुष्य कर्म और कर्तव्य के द्वारा अपने ईश्वरीय स्वरूप की अनुभूति कर सकता है।
२. भक्तियोग - इसके अनुसार अपने ईश्वरीय स्वरूप की अनुभूति सगुण ईश्वर के प्रति भक्ति और प्रेम के द्वारा होती है।
३. राजयोग - इसके अनुसार मनुष्य अपने ईश्वरीय स्वरूप की अनुभूति मनः संयम के द्वारा करता है।
४. ज्ञानयोग - इसके अनुसार अपने ईश्वरीय स्वरूप की अनुभूति ज्ञान के द्वारा होती है।
ये सब एक ही केन्द्र - भगवान् की ओर ले जानेवाले विभिन मार्ग हैं। (३.१६९-१७०)
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