विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
दो पक्षियों की कहानी
निम्नलिखित उपाख्यान में समग्र वेदान्त दर्शन का सार निहित है -
स्वर्ण पंखवाले दो पक्षी एक वृक्ष पर वास करते हैं। ऊपर जो पक्षी बैठा है, वह स्थिर, शान्त भाव से अपनी महिमा में स्वयं विभोर होकर रहता है; और जो पक्षी नीचे की डाल पर बैठा है, वह सदा चंचल रहता है, और वह इस वृक्ष का कभी मीठा फल, कभी कडुआ फल खाता हैं। एक बार उसने एक अत्यन्त कटु फल खाया; तब कुछ स्थिर होकर ऊपर बैठे हुए उस महिमामय पक्षी की ओर उसने देखा। किन्तु फिर वह उसे शीघ्र ही भूल गया, और पहले के समान ही उस वृक्ष के फल खाने में लग गया। फिर उसने एक कटु फल खाया - इस बार वह फुदक फुदक कर ऊपर की ओर कूदा और ऊपर के पक्षी के कुछ समीप जा पहुँचा। इस प्रकार अनेक बार हुआ, अन्त में नीचे का पक्षी बिल्कुल ऊपर के पक्षी के स्थान पर जा बैठा, और अपने को खो बैठा अर्थात् ऊपरवाले पक्षी के साथ एकरूप हो गया। अब उसे यह ज्ञान हुआ कि दो पक्षी कभी भी नहीं थे, वह स्वयमेव सर्वदा शान्त, स्थिर भाव से स्वमहिमा में मग्न, ऊपरवाला पक्षी ही था। (७.९५)
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