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विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ

ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : रामकृष्ण मठ प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5917
आईएसबीएन :9789383751914

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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।

जीवन-गीत

भोग में रोगभय, कुलीनता में च्युतिभय,
धनी को है भय निर्दय का।
सम्मान में दैन्यभय, बल में रिपुभय,
रूप में है भय जरा का।।
शास्त्रज्ञ को वादिभय, गुणी को खलभय,
काया को है भय मृत्यु का।
भयपूर्ण है सब इस जग में,
वैराग्य ही एक आधार अभय का।।

(स्वामी विवेकानन्द द्वारा रचित कविताओं के संग्रह इन सर्च आफ गॉड एण्ड अदर पॉइस्स, पृ. ८१ में भर्तृहरि द्वारा रचित वैराग्यशतकम् के श्लोक ३१ के अंग्रेजी रूपान्तरण का हिन्दी अनुवाद।)

भर्तहरि द्वारा रचित वैराग्यशतकम् में मूल श्लोक इस प्रकार है :

भोगे रोगभयं कुले च्युतिभयं वित्ते नृपालाद्भयं
माने दैन्यभयं बले रिपुभयं रूपे जराया भयम्।
शास्त्रे वादिभयं गुणे खलभयं काये कृतान्ताद्भयं
सर्व वस्तु भयान्वितं भुवि नृणां वैराग्यमेवाभयम्।।

वैराग्यशतकम् - ३१

 

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