गीता प्रेस, गोरखपुर >> अमृत के घूँट अमृत के घूँटरामचरण महेन्द्र
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प्रस्तुत है पुस्तक अमृत के घूँट.....
सात्त्विक आहार क्या है?
आयुःसत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्या स्त्रिग्धाः स्थिरा हद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः।।
(गीता १७। ८)
जो ताजा, रसयुक्त, हलका, स्नेहयुक्त, पौष्टिक, हद्य और मधुर हो और जिससे आयु, सत्त्व, बल, आरोग्य, सुख और प्रीति बढ़ती हो, उसे सात्त्विक आहार कहते हैं। जैसे गेहूँ चावल, जौ, साठी, मूँग, अरहर, चना, दूध, घी, ऊँख, फल, सेंधा नमक, रतालू, शकरकन्द, तरकारियाँ शाक इत्यादि। शाकोंमें घीया, तुरई, खीरा, पालक, मेथी आदिका विशेष महत्त्व है। ये हलके, सुपाव्य तथा शुभ प्रवृत्तियाँ उत्पन्न करनेवाले पदार्थ हैं। फलोंमें आम, तरबूज, खरबूजा, आलूबुखारा, नारंगी इत्यादि उत्तम हैं। दही भूलोक का अमृत है। सात्त्विक पुरुष दही, छाछ, मक्खन इत्यादिका खूब प्रयोग कर सकते हैं।
स्वामी शिवानन्दजीके अनुसार हरे ताजे शाक, दूध, घी, बादाम, मक्खन, मिश्री, मीठे संतरे सेव, अंगूर, केले, अनार, चावल, गेहूँकी रोटी, मखाना, सिंघाड़े और काली मिर्चका सेवन किया जा सकता है। सात्त्विक आहारसे चित्तकी एकाग्रता प्राप्त होती है। दहीकी लस्सी, मिश्रीका शरबत, नारंगी, नीबूके रसका प्रयोग सात्त्विक है। नीबूको खटाईमें गिनना भूल है। साधक इसका सफलतापूर्वक प्रयोग कर सकते हैं। इससे पित्तका शमन होता है तथा रक्त शुद्ध होता है। एकादशीके दिन अन्नका परित्याग कर दूध और फलोंका सेवन करना चाहिये। इससे इच्छाशक्ति बलवती होती है तथा जिह्वापर नियन्त्रण प्राप्त होता है।
प्रसिद्ध आत्मवादी डा० दुर्गाशंकर नागरकी सम्मति इस प्रकार है-'आध्यात्मिक पुरुषको अवस्था, प्रकृति, ऋतु तथा रहन-सहनके अनुसार विचारकर शीघ्र पचनेवाला सात्त्विक भोजन करना चाहिये। फलाहार सब आहारोंमें श्रेष्ठ है। संतरे, सेव, केले, अंग्ह, चूसनेके आम आदि फल उत्तम होते हैं। फलाहारसे उतरकर अन्नाहार है। रोटी, मूँग, अरहरकी दाल, चावल, शाक, भाजी, दूध, मक्सन, घी आदिका समावेश अन्नाहारमें होता है। आटा हाथका पिसा हुआ चोकरसहित उपयोगमें लेना चाहिये।
गेहूँ और जौ सत्त्वगुणी अनाज है; चनेका अधिक उपयोग वायुकारक होता है। कच्चे चनेको छिलकेसहित भिगोकर नसें फूटनेपर खाना बलकारी है। यही बात मूँगके सम्बन्धमें भी है। दालोंमें मूँग, मोठ, अरहर श्रेष्ठ है। सिंघाड़े, शकरकन्द सत्त्वगुणी है। चावल हितकर अनाज है। जो इसे पचा सकें, अवश्य लें। फलोंके रस, बादाम, खीरेके बीज, सौंफ, इलायची, गुलाबके फूलोंकी ठंडाई मिश्री मिलाकर पीना उत्तम है। गुड़ सवोंत्कृष्ट मीठा है। गोदुग्ध सात्त्विक है।
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