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कहानी संग्रह >> पाँच का सिक्का

पाँच का सिक्का

अरुण कुमार असफल

प्रकाशक : अंतिका प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 6197
आईएसबीएन :9789380044682

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अरुण कुमार असफल का यह कहानी संग्रह सहजता और सरलता के साथ नये समय की उलझनों को कहानी में व्याख्यायित करता है

Paanch ka Sikka - A Hindi Book by Arun Kumar Asafal

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

पांच का सिक्का अरुण कुमार असफल का दूसरा कहानी संग्रह है जिसकी शीर्षक कहानी कई पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर प्रशंसित हो चुकी हैं। संग्रह की पहली कहानी- कंडम। यह कहानी भूमंडलीकरण के बाद बदल रहे सामाजिक संबंधों के साथ-साथ कोर्पोरेट संसार की भीतरी सच्चाइयां भी बताती है। खास बात यह कि इसमें कहानी का संसार एक मजदूर के पक्ष से खुलता गया है जो पीड़ित है और अंतत: नष्ट होते जाना उसकी नियति है। कहानी का सुंदर पक्ष यह है कि इस मुख्य पात्र के बहाने स्त्री-पुरुष संबंधों के नये स्वरूप पर भी लेखक की दृष्टि गई है। असफल इन कहानियों में बदल रहे संबंधों को बार-बार देखते हैं स्याही और तेल, पुरानी कमीजें और गुल्लक इसके उदाहरण हैं। शीर्षक कहानी पांच का सिक्का समकालीन कहानी की उपलब्धि है। प्रगतिशील-जनवादी कहानी जिन क्लिशे में कैद हो जाती थी, उन्हीं सीमाओं से लड़कर असफल निहायत गरीब परिवार की कहानी लिखते हैं। मामूली कथा-प्रसंग के बावजूद लगभग पचास पृष्ठों की कहानी को वे कभी भी बोझिल या अरोचक नहीं होने देते। कहानी का मुख्य पात्र एक बच्चा निनकू और उसकी माई पाठक के अवचेतन में स्थाई जगह बना लेते हैं। अरुण कुमार असफल का यह कहानी संग्रह सहजता और सरलता के साथ नये समय की उलझनों को कहानी में व्याख्यायित करता है। कथाकार की रचनात्मक उपलब्धि के रूप में संग्रह की कहानियां देर तक याद रहेंगी।

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