नेहरू बाल पुस्तकालय >> तपस्या तपस्यासीतेश आलोक
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रोहित रोज ही दौड़कर उनके पास पहुंच जाता और कहता—‘‘हां दादू ! आज कौन सी कहानी सुनाएंगे ?’’
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
तपस्या
रोहित को कहानी सुनने का बड़ा शौक था। और फिर, दादाजी भी इतनी अच्छी-अच्छी
कहानियां सुनाते थे कि रोहित रोज ही दौड़कर उनके पास पहुंच जाता और
कहता—‘‘हां दादू ! आज कौन सी कहानी सुनाएंगे?’’
दादाजी कोई भी काम कर रहे हों, उसे छोड़कर उन्हें रोहित को कहानी सुनानी पड़ती। कहानी नहीं तो रोहित को नींद नहीं।
दादाजी की कहानियों में प्रायः लोगों द्वारा तपस्या करने और फिर भगवान् से वरदान पाने की बातें होतीं।
रोहित को लगा कि तपस्या से भगवान् प्रसन्न हो जाते हैं और तपस्या करने वाले को मनचाहा वरदान मिल जाता है। उसे याद आया कि वह गणित में बहुत कमजोर है। अन्य सभी विषयों में तो उसे अच्छे अंक मिल जाते हैं, पर गणित में कम अंक मिलने के कारण वह पीछे रह जाता है। गणित की कक्षा में बैठते समय भी उसके मन में धुकधुकी लगी रहती है कि कहीं मास्टर जी उससे कोई प्रश्न न पूछ लें। अगर वह सही उत्तर नहीं दे पाया तो सबके सामने उसका अपमान हो जायेगा।
अचानक उसे ध्यान आया, अगर वह कुछ दिन तपस्या करे तो भगवान् को प्रसन्न करके यह वरदान पा सकता है कि गणित उसे समझ में आने लगे। गणित समझ में आते ही वह गणित में अच्छे अंक पाने लगेगा और फिर सारी कक्षा में उसे प्रथम स्थान मिलने लगेगा। रात में, बड़ी देर तक तपस्या करने की पक्की योजना बनाते-बनाते उसे नींद आ गयी।
सुबह उठते ही उसे तपस्या वाली बात याद हो आयी। कुछ देर सोचने के बाद उसे लगा कि यह काम इतना आसान नहीं है, जितना उसने समझा था।
दादाजी कोई भी काम कर रहे हों, उसे छोड़कर उन्हें रोहित को कहानी सुनानी पड़ती। कहानी नहीं तो रोहित को नींद नहीं।
दादाजी की कहानियों में प्रायः लोगों द्वारा तपस्या करने और फिर भगवान् से वरदान पाने की बातें होतीं।
रोहित को लगा कि तपस्या से भगवान् प्रसन्न हो जाते हैं और तपस्या करने वाले को मनचाहा वरदान मिल जाता है। उसे याद आया कि वह गणित में बहुत कमजोर है। अन्य सभी विषयों में तो उसे अच्छे अंक मिल जाते हैं, पर गणित में कम अंक मिलने के कारण वह पीछे रह जाता है। गणित की कक्षा में बैठते समय भी उसके मन में धुकधुकी लगी रहती है कि कहीं मास्टर जी उससे कोई प्रश्न न पूछ लें। अगर वह सही उत्तर नहीं दे पाया तो सबके सामने उसका अपमान हो जायेगा।
अचानक उसे ध्यान आया, अगर वह कुछ दिन तपस्या करे तो भगवान् को प्रसन्न करके यह वरदान पा सकता है कि गणित उसे समझ में आने लगे। गणित समझ में आते ही वह गणित में अच्छे अंक पाने लगेगा और फिर सारी कक्षा में उसे प्रथम स्थान मिलने लगेगा। रात में, बड़ी देर तक तपस्या करने की पक्की योजना बनाते-बनाते उसे नींद आ गयी।
सुबह उठते ही उसे तपस्या वाली बात याद हो आयी। कुछ देर सोचने के बाद उसे लगा कि यह काम इतना आसान नहीं है, जितना उसने समझा था।
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