विभिन्न रामायण एवं गीता >> भगवती गीता भगवती गीताकृष्ण अवतार वाजपेयी
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गीता का अर्थ है अध्यात्म का ज्ञान ईश्वर। ईश्वर शक्ति द्वारा भक्त को कल्याण हेतु सुनाया जाय। श्रीकृष्ण ने गीता युद्ध भूमि में अर्जुन को सुनाई थी। भगवती गीता को स्वयं पार्वती ने प्रसूत गृह में सद्य: जन्मना होकर पिता हिमालय को सुनाई है।
अपनी बात
हे मां दुर्गा! मेरी सम्पूर्ण भव-बाधाओं को भस्मीभूत कर, मेरे ज्ञाताज्ञात समस्त पापों का हरण कर, मेरे दुःख दारिद्रय का विनाश कर, मेरी दुर्गति को दूर कर मुझे भय मुक्त करें। हे दयामयी! करुणामयी दुर्गा माँ! मेरे सभी बाह्याभ्यान्तर के शत्रुऑ का संहार कर मुझे निर्भय, सम्पन्न एवं यशस्वी बना दें; क्योंकि तू ही जगज्जननी है, जगदम्बा है, आद्याशक्ति है, पराशक्ति है। तुझमें ही महाकाली, महासरस्वती आदि दस विधाओं की समस्त शक्तियाँ विद्यमान हैं। तू ही पराम्बा है। वह तू ही है जिसने देवताओं को भयभीत करने वाले परम पराक्रमी दुर्दान्त राक्षसों को मारने के लिए दुर्गा नाम धारण कर देवी की स्तुति पर कृपालु होकर दुर्गमासुर का वध कर देवताओं, पृथ्यी और प्राणिमात्र की रक्षा की थी। वही दुर्गा माँ तू अब हम अबोध बालकों पर, हमारे अहंकारों एवं दुराचारों को अनदेखा करके माता श्री के समान आचरण कर और हमें पग-पग पर संबल दे, साहस दे, करुणा दे।
मैं यही कहूँगा कि माँ भगवती की असीम कृपा से में आज आप सभी भक्तजनों के समक्ष मां की महिमा के गुणगान हेतु अपनी बात कहने के लिए समर्थ हो सका हूँ। बार-बार यही कहूँगा कि जो माँ को समाहित चित्त से याद करता है, माँ उसकी पुकार अवश्य ही सुनती है जिसने मेरी भी बहुत सुनी है, इतनी सुनी है कि अब कुछ कहने की इच्छ ही नहीं रही। उन्होंने मुझे अपना भरपूर स्नेह दिया है, कठिन परिस्थितियों में साहस एवं सम्बल दिया है और पग-पग पर मुझे चलना सिखाया है। मैं उनको शत-शत नमन करता हूँ और उनसे यही प्रार्थना करता हूँ कि जानकारी या अनजाने में भी यदि कोई आपका नाम लेता है तो उसकी पुकार हे माँ, आप अवश्य ही सुनें। उसका कल्याण करें और उसकी सभी कामनाओं को पूर्ण कर अपने प्रिय बच्चों की तरह उसका लालन-पालन करें।
-प्रकाशक
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- अपनी बात
- कामना
- गीता साहित्य
- भगवती चरित्र कथा
- शिवजी द्वारा काली के सहस्रनाम
- शिव-पार्वती विवाह
- राम की सहायता कर दुष्टों की संहारिका
- देवी की सर्वव्यापकता, देवी लोक और स्वरूप
- शारदीय पूजाविधान, माहात्म्य तथा फल
- भगवती का भूभार हरण हेतु कृष्णावतार
- कालीदर्शन से इन्द्र का ब्रह्महत्या से छूटना-
- माहात्म्य देवी पुराण
- कामाख्या कवच का माहात्म्य
- कामाख्या कवच
- प्रथमोऽध्यायः : भगवती गीता
- द्वितीयोऽध्याय : शरीर की नश्वरता एवं अनासक्तयोग का वर्णन
- तृतीयोऽध्यायः - देवी भक्ति की महिमा
- चतुर्थोऽध्यायः - अनन्य शरणागति की महिमा
- पञ्चमोऽध्यायः - श्री भगवती गीता (पार्वती गीता) माहात्म्य
- श्री भगवती स्तोत्रम्
- लघु दुर्गा सप्तशती
- रुद्रचण्डी
- देवी-पुष्पाञ्जलि-स्तोत्रम्
- संक्षेप में पूजन विधि