विभिन्न रामायण एवं गीता >> भगवती गीता भगवती गीताकृष्ण अवतार वाजपेयी
|
8 पाठकों को प्रिय 313 पाठक हैं |
गीता का अर्थ है अध्यात्म का ज्ञान ईश्वर। ईश्वर शक्ति द्वारा भक्त को कल्याण हेतु सुनाया जाय। श्रीकृष्ण ने गीता युद्ध भूमि में अर्जुन को सुनाई थी। भगवती गीता को स्वयं पार्वती ने प्रसूत गृह में सद्य: जन्मना होकर पिता हिमालय को सुनाई है।
शिवजी द्वारा काली के सहस्रनाम
अनाद्या परमा विद्या प्रधाना प्रकृतिः परा।
प्रधानपुरुषाराध्या प्रधानपुरुषेश्वरी।।1।।
प्राणात्मिका प्राणशक्तिः सवंप्राणहितैषिणी।
उमा चोत्तमकेशिन्युत्तमा चोन्मत्तभैरवी।।2।।
उर्वशी चोन्नता चोग्रा महोग्रा चोन्नतस्तनी।
उग्रचण्डोग्रेनयनामह्मग्रदैत्यनाशिनी।।३।।
उग्रप्रभावती चोग्रवेगानुग्रप्रमद्रिनी।
उग्रतारोग्रनयना चोर्ध्वस्थाननिवासिनी ।।4।।
उन्मत्तनयनात्युग्रदन्तोतुङ्गस्थलालया।
उल्लासियल्लासचित्ता चोत्फुल्लनयनोज्ज्वला।।5।।
अनाद्या, परमा, विद्या, प्रधाना, प्रकृति, परा, प्रधानपुरुषाराध्या, प्रधानपुरुषेश्वरी, प्राणात्मिका, प्राणशक्ति, सर्वप्राणहितैषिणी, उमा, उत्तमा, उत्तमकेशिनी, उत्तमा, उन्मत्त भैरवी, उर्वशी, उन्नता, उग्रा, महोग्रा, उन्नतस्तनी, उग्रचण्डा, उग्रनयना, महोग्रदैत्यनाशिनी, उग्र प्रभावती, उग्रवेगा, अनुग्रप्रमद्रिनी, उग्रतारा, उग्रनयना, ऊर्ध्वस्थाननिवासिनी, उन्मत्त नयना, अत्युग्रदन्ता, उतुङ्गस्थालालया, उल्लासिनी, उल्लासचित्ता, उत्फुल्लनयनोज्ज्वला।
उत्फुल्लाकमलारूअ कमला कामिनी कत्स।
काली करालवदना कामिनी मुखकामिनी।।6।।
कोमलाङ्गी कृशाङ्गी च कैटभासुरमद्रिनी।
कालिन्दी कमलस्था च कान्ता काननवासिनी।।7।।
कुमारी निष्कला कृष्णा कालरात्रिस्वरूपिणी।
कुमारी कामरूपा च कामिनी कृष्णपिक्ला।।8।।
कपिला शान्तिदा शुद्धा शंकरार्धशरीरिणी।
कौमारी कार्तिकी दुर्गा कौशिकी कुण्डलोज्ज्वला।।9।।
कुलेश्वरी कुलश्रेष्ठ कुन्तलोज्ज्लमस्तका।
भवानी भाविनी वाणी शिवा च शिवमोहिनी।।1०।।
शिवप्रिया शिवाराध्या शिवप्राणैकवल्लभा।
शिवपली शिवस्तुत्या शिवानन्दप्रदायिनी।।11।।
नित्यानन्दमयी नित्या सच्चिदानन्दविग्रह्म।
त्रैलोक्यजननी शम्भुहदयस्था सनातनी।।12।।
उत्कल्लकमलारूढा, कमला, कामिनी, कला, काली करालवदना, कामिनी, मुखकामिनी, कोमलाङ्गी, कृशाङ्गी, कैटभासुरमद्रिनी, कालिन्दी, कमलास्था, कान्ता, काननवासिनी, कुलीना, निष्कला, कृष्णा, कालरात्रिस्वरूपिणी, कुमारी, कामरूपा, कामिनी, कृष्णपिङ्गला, कपिला, शान्तिदा, शुद्धा, शंकरार्धशरीरिणी, कौमारी, कार्तिकी, दुर्गा, कौशिकी, कृण्डलोज्ज्वला, कुलेश्वरी, कुलश्रेष्ठा, कुन्तलोन्नलमस्तका, भवानी, भाविनी, वाणी, शिवा, शिवमोहिनी, शिवप्रिया, शिवाराध्या, शिव प्राणैकवल्लभा, शिवपत्नी, शिवस्तुत्या, शिवानन्दप्रदायिनी, नित्यानन्दमयी, नित्या, सच्चिदानन्दविग्रहा, त्रैत्नोक्यजननी, शम्भुहृदयस्था, सनातनी।
सदया निद्रया माया शिवा त्रैलोक्यमोहिनी।
ब्रह्मादित्रिदशाराध्या सर्वाभीष्टप्रदायिनी।।13।।
ब्रह्माणी ब्रह्मगायत्री सावित्री ब्रह्मसंस्तुता।
ब्रह्मोपास्या ब्रह्मशक्तिर्खह्मसृष्टिविधयिनी।।14।।
कमण्डलुकरा, सृष्टिकत्रीं ब्रह्मस्वरूपिणी।
चतुर्भुजात्मिका यज्ञसूत्ररूपा दृढ़वता।।15।।
हंसारूढा चतुर्वक्ता चतुर्वेदाभिसंस्तुता।
वैष्णवी पालनकरी महालक्ष्यीर्हरिप्रिया।।16।।
शङ्खचक्रधरा विष्णुशक्तिर्विष्णुस्वरूपिणी।
विष्णुप्रिया विष्णुमाया विष्णुप्राणैकवल्लभा।।17।।
सदया, निद्रया, माया, शिवा, त्रैलोक्यमोहिनी, ब्रह्मादित्रिदशाराध्या, सर्वाभीष्टप्रदायिनी, ब्रह्माणी, ब्रह्मगायत्री, सावित्री, ब्रह्मसंस्तुता, ब्रह्मोपास्या, ब्रह्मशक्ति, ब्रह्मसृष्टिविधायिनी, कमण्डलुकरा, सृष्टिकर्त्री, ब्रह्मस्वरूपिणी, चतुर्भुजात्मिका, यज्ञसूत्ररूपा, दृढ़व्रता, हंसारूढा, चतुर्वक्त्रा, चतुर्वेदाभिसंस्तुता, वैष्यवी, पालनकरी, महालक्ष्मी, हरिप्रिया, शङ्खचक्रधरा, विष्णुशक्ति, विष्णुस्वरूपिणी, विष्णुप्रिया, विष्णुमाया, विष्णुप्राणैकवल्लभा।
योगनिद्राक्षरा विष्णुमोहिनी विष्णुसंस्तुता।
विष्णुसम्मोहनकरी त्रैलोक्यपरिपालिनी।।18।।
शङ्खिनी चक्रिणी पण पद्यिनी मुशलायुधा।
पद्यालया पशहस्ता पद्यमालाविभूषिता।।19।।
गरुडस्था चाकरूपा सम्पदूपा सरस्वती।
विष्णुपार्श्वस्थिता विष्णुपरमाहाददायिनी।।2०।।
सम्पत्तिः सम्पदाथारा सर्वसम्पह्मदायिनी।
श्रीविद्या सुखदा सौख्यदायिनी दुखनाशिनी।।21।।
दुःखहन्त्री सुखकरी सुखासीना सुखप्रदा।
सुखप्रसन्नवदना नारायणमनोरमा।।22।।
योगनिद्रा, अक्षरा, विष्णुमोहिनी, विष्णुसंस्तुता, विष्णुसम्मोहनकरी, त्रैलोक्य परिपालिनी, शह्विनी, चक्रिणी, पद्या, पद्यिनी, मुशलायुधा, पद्यालया, पद्यमालाविभूषिता, गरुडस्था, चारुरूपा, सम्पद्रूपा, सरस्वती, विष्णुपार्श्वस्थिता, विष्णुपरमाह्यददायिनी, सम्पत्ति, सम्पदा धारा, सर्वसम्पतदायिना, श्रीविद्या, सुखदा, सौख्यदायिनी, दुःखनाशिनी, दुःखहन्त्री, सुखकरी, सुखासीना, सुखप्रदा, सुखप्रसन्नवदना, नारायणमनोरमा।
नारायणी जगद्धात्री नारायणविमोहिनी।
नारायणशरीरस्था वनमालाविभूषिता।।23।।
दैत्यजी पीतवसना सर्वदैत्यप्रमद्रिनी।
वाराही, नारसिंही च रामचन्द्रस्वरूपिणी।।24।।
रक्षोघ्नी काननावासा चाहल्याशापमोचिनी।
सेतुबन्धकरी सर्वरक्षःकृलविनाशिनी।।25।।
सीता प्रतिव्रता साध्वी रामप्राणैकवल्लभा।
अशोककाननावासा लङ्केश्वरविनाशिनी।।26।।
नीतिः सुनीतिः सुकृतिः कीर्तिर्मेधा वसुन्धरा।
दिव्यमाल्यधरा दिव्या दिव्यगन्धानुलेपना।।27।।
नारायणी, जगद्धात्री, नारायणविमोहिनी, नारायणशरीरस्था, वनमालावि भूषिता, दैंत्यघ्नी, पीतवसना, सर्वदैत्यप्रमद्रिनी, वाराही, नारसिंही, रामचन्द्रस्वरूपिणी, रक्षोघ्न, काननावासा, अहल्याशापमोचिनी, सेतुबन्धकरी, सर्वरक्षः कुलविनाशिनी, सीता, पतिव्रता, साध्वी, रामप्राणैकवच्नभा, अशोककाननावासा, लङ्केश्करविनाशिनी, नीति, सुनीति, सुकृति, कीर्ति, मेधा, वसुन्धरा, दिव्यमाल्यधरा, दिव्या, दिव्यगन्धानुलेपना।
दिव्यवस्त्रपरीधाना दिव्यस्थाननिवासिनी।
माहेश्वरी प्रेतसंस्था प्रेतभूमिनिवासिनी।।28।।
निर्जनस्था श्मशानस्था भैरवी भीमलोचना।
सुघोरनयना धोरा घोररूपा घनप्रभा।।29।।
घनस्तनी, धरा, श्यामा प्रेतभूमिकृतालया।
खदवाङ्गधारिणी द्वीपिचर्माम्बरसुशोभना।।३०।।
महाकाली, चण्डवक्ता चण्डमुण्ड विनाशिनी।
उद्यानकाननावासा पुष्पोद्यानवनप्रिया।।31।।
बलिप्रिया मांसभक्ष्या रुधिरासवभक्षिणी।
भीमरावा साट्टहासा रणनृत्यपरायणा।।३2।।
दिव्यवस्त्रपरीधाना, दिव्यस्थाननिवासिनी, माहेश्वरी, प्रेत संस्था, प्रेत भूमिनिवासिनी, निर्जनस्था श्मशानस्था, भैरवी, भीमलोचना, सुघोरनयना, घोरा, घोररूपा, घनप्रभा, घनस्तनी, वरा, श्यामा, प्रेत भूमिकृतालया, खट्वांगधारिणी, द्वीपचर्माम्बर सुशो भना, महाकाली,चण्डवक्त्रा, चण्डमुण्डविनाशिनी, उद्यानकाननावासा, पुष्पोद्यानवनप्रिया, बलिप्रिया, मांसभक्ष्या, रुधिरासवभीक्षणी, भीमरावा, साट्टहासा, रणनृत्यपरायणा।
असुरासृक्सिया, तुष्टा, दैत्यदानवमद्रिनी।
दैत्यछिद्राधिणी दैत्यमथनी दैत्यसूदनी।।3३।।
दैत्यस्वी दैत्यहन्त्री च महिषासुरमद्रिनी।
रक्तखीजनिहब्री च श्दुम्भासुरविनाशिनी।। 34।।
निशुम्भहन्त्री घूम्राक्षमद्रिनी दुर्गह्मरिणी।
दुर्गासुरनिहन्त्री च शिवदूती मह्यबला।।35।।
मह्मछलवती चित्रवस्त्रा रक्ताम्बरामला।
विमला ललिता चारुझसा चारुत्रिलोचना।।36।।
अजेया जयदा ज्येष्ठा जयशीलापराजिता।
विजया जान्हवी दुष्टजृम्भिणी जयदायिनी।।३7।।
असुरासृक्यिया, तुष्टा, दैत्यदानवमद्रिनी, दैत्यविद्राविणी, दैत्यम थनी, दैत्यसूदनी, दैत्यघ्नी, दैत्यहन्त्री, महिषासुरमद्रिनी, रक्तबीजनिहन्त्री, शुम्भासुरविनाशिनी, निशुम्भहन्त्री, आ क्षमद्रिनी, दुर्गहारिणी, दुर्गासुरहन्त्री, शिवदूती, महाबला, महाबलवती, चित्रवस्त्रा, रक्ताम्बरा, अमला, विमला, ललिता, चारुहासा, चारुत्रिलोचना, अजेया, जयदा, ज्येष्ठ, जयशीला, अपराजिता, विजया, जान्हवी, दुष्टजृम्भिणी, जयदायिनी।
जगद्रक्षाकरी सर्वजगच्चैतन्यकारिणी।
जया जयन्ती जननी जनभक्षणतत्परा।।38।।
जलरूपा जलस्था च जप्यजापकवत्सला।
जाज्वल्यमाना यज्ञाशा जन्मनाशविवर्जिता।।39।।
जरातीता जगन्माता जगद्रूपा जगन्मयी।
जंगमा ज्वालिनी जृम्भास्तम्भिनी दुष्टतापिनी।।4०।।
त्रिपुघ्नी त्रिनयना महात्रिपुरतापिनी।
तृष्णाजातिः पिपासा च अक्षा त्रिपुरप्रभा।।41।।
त्यरिता त्रिपुटा न्यक्षा तन्त्री तापविवर्जिता
त्रिलोकेशी तीव्रवेगा तीव्रा तीव्रबलालया।।42।।
जगद्रक्षाकरी, सर्वजगच्चैतन्यकारिणी, जया, जयन्ती, जननी, जनभक्षणतत्परा, जलरूपा, जलस्था, जप्यजापकवत्सला, जाज्वल्यमाना, यज्ञाशा, जन्मनाशविवर्जिता, जरातीता, जगन्माता, जगका, जगन्मयी, जक्मा, च्चालिनी, शृम्भास्तम्भिनी, दुष्टतापिनी, त्रिपुरध्यी, त्रिनयना, महात्रिपुरतापिनी, तृष्णाजाति, पिपासा, बुभु क्षा, त्रिपुरप्र भा, त्वरिता, त्रिपुटा, त्र्यक्षा, तन्यी, तापविवर्जिता, त्रिलोकेशी, तीव्रवेगा, तीव्रा, तीव्रबलालया।
निःशङ्का निर्मलाभा च निरातझाग्मलप्रभा।
विनीता विनयाभिज्ञा विशेषज्ञा विलक्षणा।।43।।
वरदा बल्लभा विहत्यभा विनयशालिनी।
विम्मोष्ठई विधुवक्ताचविवस्त्राविनयप्रभा।।44।।
विश्वेशपत्नी विश्वात्मा विश्वरूपा बलोत्कटा।
विश्वेशी विश्ववनिता विश्वमाता विचक्षणा।।45।।
विदुषी बिश्वविदिता विश्वमोहनकारिणी।
विश्वभूर्तिर्विश्वधरा, विश्वेशपरिपालिनी।।46।।
विश्वकर्त्री विश्वहर्त्री विश्वपालनतत्यरा।
विश्वेशहदयाबासा विश्वेश्वरमनोरमा।।47।।
निशङ्का, निर्मलाभा, निरातङ्का, अमलप्रभा, विनीता, विनया, अभिज्ञा, विशेषज्ञा, विलक्षणा, वरदा, वल्लभा, विद्युत्यभा, विनयशालिनी, बिम्बोष्ठी, विधुवक्ता, विवस्त्रा, विनयप्र भा, विश्वेशपत्नी, विश्वात्मा, विश्वरूपा, बलोत्कटा, विश्वेशी, विश्ववनिता, विश्वमाता, विच क्षणा, विदुषी, विश्वविदिता, विश्वमोहनकारिणी, विश्वमूर्ति, विश्वधरा, विश्वेशपरिपालिनी, विश्वकर्त्री, विश्वहर्त्री, विश्वपालनतत्परा, विश्वेशहृदयावासा, विश्वेश्वरमनोरमा।
विश्वहा विश्वनिलया विश्वमाया विभूतिदा।
विश्वा विश्वोपकारा च विश्वप्राणात्मिकापि च।।48।।
विश्वप्रिया विश्वमयी विश्वदुष्टाविनाशिनी।
दाक्षायणी दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी।।49।।
विश्वम्भरी वसुमती वसुधा विश्वपावनी।
सर्वातिशायिनी सर्बदुःखदारिद्रयहारिणी।।5०।।
महाविभूतिरब्धक्ता शाश्वती सर्वसिद्धिदा।
अचिन्त्यमिचज्यरूपा च केवला परमात्मिका।।51।।
सर्वज्ञा सर्वविषया सर्वोपरिपरायणा।
सर्वस्यार्तिहरा सर्वमङ्गला मङ्गलप्रदा।।52।।
विश्वहा, विश्वनिलया, विश्वमाया, विभूतिदा, विश्वा, विश्वोपकारा, विश्वप्राणात्मिका, विश्वप्रिया, विश्वमयी, विश्वदुष्ठविनाशिनी, दाक्षायणी, दक्षकन्या, क्षयज्ञविनाशिनी, विश्वम्परी, वसुमती, वसुधा, विश्वपावनी, सर्वातिशायिनी, सर्वदु खदारिद्रयहारिणी, महावि भूति, अव्यक्ता, शाश्वती, सर्वसिद्धिदा, अचित्त्वा, अचित्त्वरूपा, केवला, परमात्मिका, सर्वज्ञा, सर्वविषया, सर्वोपरिपरायणा, सर्वस्यार्तिहरा, सर्वमंगला, मंगलप्रदा।
मङ्गलार्हा महादेवी सर्वमङ्गलदायिका।
सर्वान्तरस्था सर्वार्थरूपिणी च निरञ्जना।।53।।
चिच्छक्तिश्चिन्मयी सर्वविद्या सवविधायिनी।
शान्तिः शान्तिकरी सौम्या सर्वसर्व प्रदायिनी।।54।।
शान्तिः क्षमा क्षेमकरी क्षेत्रज्ञा क्षेत्रवासिनी।
क्षणात्मिका क्षीणतनु क्षीणाङ्गी क्षीणमध्यमा।।55।।
क्षिप्रगा क्षेमदा क्षिप्ता क्षणदा क्षणवासिनी।
वृत्तिर्निवृत्तिर्भूतानां प्रवृत्तिर्वृत्तलोचना।। 56।।
व्योममूर्तिर्व्योमसंस्या व्योभालयकृताश्रया।
चन्द्रानना चन्द्रकान्तिश्चन्द्रार्धाङ्गितमस्तका।।57।।
मङ्गलार्हा, महादेवी, सर्वमङ्गलदायिका, सर्वान्तरस्था, सर्वार्थरूपिणी, निरज्जना, चिच्छक्ति, चिन्मयी, सर्वविद्या, सर्वविधायिनी, शान्ति, शान्तिकरी, सौम्या, सर्वसर्व प्रदायिनी, शान्ति, क्षमा, क्षेमकरो, क्षेत्रज्ञा, संत्रवासिनी, क्षणात्मिका, क्षीणतनु, क्षीणाङ्गी, क्षीणमध्यमा, क्षिप्रगा, क्षेमदा, क्षप्ता, क्षणदा, क्षणवासिनी, भूतानावृत्ति, भूतानां निवृत्ति, भूतानां प्रवृत्तिं, वृत्तलोचना, व्योममूर्ति, व्योमसंस्था, व्योमालयकृता श्रया, चन्द्रानना, चन्द्रकान्ति, चन्द्रार्धाद्वितमस्तका।
चन्द्रप्रभा चन्द्रकला शरच्चन्द्रनिभानना।
चन्हात्मिका चन्द्रमुखी चन्द्रशेखरवल्लभा।।58।।
चन्द्रशेखरवक्षःस्था चन्द्रलोकनिवासिनी
चन्द्वशेखरशैलस्था चञ्चला चव्वलेक्षणा।।59।।
छिन्नमस्ताछागमांसप्रिया छागबलिप्रिया।
ज्योत्स्ना ज्योतिर्मयी सर्वज्यायसी जीवनात्मिका।।6०।।
सर्वकार्यनियन्त्री च सर्वभूतहितैषिणी।
गुणातीता गुणमयी त्रिगुणा गुणशालिनी।।61।।
गुणैकनिलया गौरी गुह्यगोपकुलोद्धवा।
गरीयसी गुरुरता गुह्यस्थाननिवासिनी।।62।।
चन्द्रप्रभा, चन्द्रकला, शरच्चन्द्रनिभानना, चन्द्रात्मिका, चन्द्रमुखी, चन्द्रशेखरवल्लभा, चन्द्रशेखरवक्षःस्था, चन्द्रलोकनिवासिनी, चन्द्रशेखरशैलस्था, चञ्चला, चञ्चले क्षणा, ख्यिमस्ता, छगमांसप्रिया, ब्रगबलिप्रिया, ज्योत्स्ना, ज्योतिर्मयी, सर्वज्यायसी, जीवनात्मिका, सर्वकार्यनियन्त्री, सर्व भूतहितैषिणी, गुणातीता, गुणमयी, त्रिगुणा, गुणशालिनी, गुणैकनिलया, गौरी, गुह्यगोपकुलोद्धवा, गरीयसी, गुरुरता, गुह्यस्थाननिवासिनी।
गुणज्ञा निर्गुणा सर्वगुणार्झ गुह्यकाम्बिका।
गलज्जटा गलत्केशा गलदुधिरचर्चिता।।63।।
गजेन्द्रगमना गन्त्री गीतनृत्यपरायणा।
गमनस्था गयाध्यक्षा गणेशजननी तथा।।64।।
गानप्रिया गानरता गृहस्था गहिणी परा।
गजसंस्था गजारूढा ग्रसन्ती गरुडासना।65।।
योगस्था योगिनीगभ्या योगचिन्तापरायणा।
योगि ध्येया योगिवन्धा योगलध्या युगात्मिका।।66।।
योगिज्ञेया योगयुक्ता महायोगेश्वरेश्वरी।
योगानुरक्त युगदा युगान्तजलदप्रभा।।67।।
गुणज्ञा, निर्गुणा, सर्वगुणार्हा, गुह्यकाम्बिका, गलज्जटा, गलत्केशा, गलदुधिरचर्चिता, गजेन्द्रगमना, गन्त्री, गीतनृत्यपरायणा, गमनस्था, गयाध्यक्षा, गणेशजननी, गानप्रिया, गानरता, गृहस्था, गृहिणी, परा, गजसंस्था, गजारूढा, ग्रसन्ती, गरुडासना, योगस्था, योगिनीगम्या, योगचिन्तापरायणा, योगिध्येया, योगवन्धा, योगलभ्या, युगात्मिका, योगिज्ञेया, योगयुक्ता, महायोगेश्वरेश्वरी, योगानुरक्ता, युगदा, युगानाजलदप्रभा।
युगानुकारिणी यज्ञरूपा सूर्यसमप्रभा।
युगान्तानिलवेगा च सर्वयज्ञफलप्रदा।।68।।
संसारयोनि संसारव्यापिनी सकलास्पदा।
संसारतरुनिःसेव्या संसारार्णवतारिणी।।69।।
सर्वार्थसाधिका सर्वा संसारख्यापिनी तथा।
संसारबन्धकत्रीं च संसारपरिवर्जिता।।7०।।
दुर्निरीक्ष्या सुदुष्प्राप्या भूतिर्भूतिमतीत्यपि।
अत्यन्तविभवारूपा महाविभवरूपिणी।।71।।
शब्दब्रह्मस्वरूपा च शब्दयोनिः परात्परा।
भूतिदा भूतिमाता च भूतिस्तन्द्री विभूतिदा।।72।।
युगानुकारिणी, यज्ञरूपा, सूर्यसमप्रभा, युगान्तानिलवेगा, सर्वयज्ञफलप्रदा, संसार योनि, संसारव्यापिनी, सकलास्पदा, संसारतरुनिःसेव्या, ससारार्णवतारिणी, सर्वार्थसाधिका, सर्वा, संसारव्यापिनी, संसारबन्धकर्त्री, ससारपरिवर्जिता, दुर्निरीक्ष्या, सुदुष्प्राप्या, भूति, भूतिमती, अत्यन्तविभवारूपा, महाविभवरूपिणी, शब्द ब्रह्मस्वरूपा, शब्दयोनि, परात्परा, भूतिदा, भूतिमाता, भूति, तन्द्री, विभूतिदा।
भूतान्तरस्था सूकूटस्था भूतनाथप्रियांगना।
भूतमाता भूतनाथा भूतालयनिवासिनी।।7३।।
भूतनृत्यप्रिया भूतसङ्गिनी भूतलाश्रया।
जन्ममृत्युजरातीता मह्मपुरुषसङ्गता।।74।।
भुजगा तामसी व्यक्ता तमोगुणवती तथा।
त्रितत्त्वतत्त्वरूपा च तत्त्वज्ञा तत्त्वकप्रिया।।75।।
त्रम्बका त्र्यम्बकरता शुक्ला व्यम्बकरूषिणी
त्रिकालज्ञा जन्महीना रक्ताङ्गी ज्ञानरूपिणी।।76।।
अकार्या कार्यजननी ब्रह्माख्या ब्रह्यसंस्थिता।
वैराग्ययुक्ता विज्ञानगम्बा धर्मस्वरूपिणी।।77।।
भूतान्तरस्था, क्रटस्था, भूतना थप्रियाक्ना, भूतमाता, भूतना था, भूतालयनिवासिनी, भूतनृत्यप्रिया, भूतसङ्गिनी, इला श्रया, जन्ममृत्युजरातीता, महापुरुषसक्ता, भुजगा, तामसी, व्यक्ता, तमोगुणवती, त्रितत्त्वतत्वरूपा, तत्वज्ञा, तत्त्वकप्रिया, व्यम्बका, त्रम्बकरता, शुक्ला, त्रम्बकरूपिणी, त्रिकालज्ञा, जन्महीना, रक्ताङ्गी, ज्ञानरूपिणी, अकार्या, कार्यजननी, ब्रह्माख्या, ब्रह्यसंस्थिता, वैराग्ययुक्ता, विज्ञानगम्या, धर्मस्वरूपिणी।
सर्वधर्मविधानज्ञा धर्मिष्ठा धर्मतत्परा।
धर्मिष्ठपालनकरी धर्मशास्त्रपरायणा।।7४।।
धर्माधर्मविहीना च धर्मजन्यफलप्रदा।
धर्मिणी धर्मनिरता धर्मिणामिष्टदायिनी।।79।।
धन्या धीर्धारणा धीरा धन्यनी धनदायिनी।
धनुष्मती धरासंस्था थरणिस्थितिकारिणी।।8०।।
सर्वयोनिर्विश्वयोनिरपायोनिरयोनिजा।
रुद्राणी रुद्रवनिता रुद्रैकादशरूपिणी।।81।।
रुद्राक्षमालिनी रौद्री भुक्तिमुक्तिफलप्रदा।
ब्रह्मोपेन्द्रप्रवन्धा च नित्यं मुदितमानसा।।82।।
सर्वधर्मविधानज्ञा, धर्मिष्ठा, धर्मतत्परा, धर्मिष्ठपालनकरी, धर्मशास्त्रपरायणा, धर्मा, अधर्मविहीना, धर्मजन्यफलप्रदा, धर्मिणी, धर्मनिरता, धर्मिणामिष्टदायिनी, धन्या, धी, धारणा, धीरा, धन्यनी, धनदायिनी, धनुष्मती, धरासंस्था, धरणिस्थितिकारिणी, सर्वयोनि, विश्वयोनि, अपायोनि, अयोनिजा, रुद्राणी, रुद्रवनिता, रुद्रैकादशरूपिणी, रुद्रा क्षमालिनी, रौद्री, भुक्तिमुक्तिफलप्रदा, ब्रह्मोपेन्द्रप्रवन्धा, नित्यं मुदितमानसा।
इन्द्राणी वासवी चैन्द्री विचित्रैरावतस्थिता।
सहस्रनेत्रा दिव्याडुग दिव्यकेशविलासिनी।।8३।।
दिव्यांगना दिव्यनेत्रा दिव्यचन्दनचर्चिता।
दिव्यालङ्करणा दिव्यश्वेतचामरवीजिता।।84।।
दिव्यहारा दिव्यपदा दिव्यगरशोभिता।
केयूरशोभिता हृष्टा हृष्टचित्तप्रहर्षिणी।।85।।
सम्प्रहृष्टमना हर्षप्रसन्नवदना तथा।
देवेन्द्ववन्धपादाध्वा देवेन्द्रपरिपूजिता।।86।।
रजसा रक्तनयना रक्तपुष्पप्रिया सदा।
रक्ताङ्गी रक्तनेत्रा च रक्तोत्यलविलोचना।।87।।
इन्द्राणी, वासवी, ऐन्द्री, विचित्रा एरावतस्थिता, सहस्रनेत्रा, दिव्याङ्गा, दिव्य-केशविलासिनी, दिव्यांगना, दिव्यनेत्रा दिव्यचन्दनचर्चिता, दिव्यालङ्करणा, दिव्यश्वेतचामरवीजिता, दिव्यहारा, दिव्यपदा, दिव्यनूपुरशोभिता, केयूरशोभिता, हृष्टा, हृष्टाचित्तप्रहर्षिणी, सम्प्रहृष्टमना, हर्षप्रसन्नवदना, देवेन्द्रवन्धपादाज्जा, देवेन्द्रपरिशइजता, रजसा, रक्तनयना, रक्तपुष्पप्रिया, रक्ताङ्गी, रक्तनेत्रा, रक्तोत्पलविलोचना।
रक्ताभा रक्तवस्त्रा च रक्तचन्दनचचिंता।
रक्तेक्षणा रक्तभशा रक्तमत्तोरगाश्रया।।88।।
रक्तदन्ता रक्तजिह्वा रक्तभक्षणतत्यरा।
रक्तप्रिया रक्ततुष्टा रक्तपानसुतत्पश।।89।।
बन्धूकुसुमाभा च रक्तमास्यानुलेपना।
स्फुरद्रक्ताञ्चिततनुः स्फुरत्सर्यशतप्रभा।।9०।।
स्फुरनेत्रा पिक्जटा पिक्ला पिक्लेक्षणा।
अगला पीतवस्त्रा च पीतपुष्पप्रिया सदा।।91।।
पीताम्बरा पिबद्रक्ता पीतपुष्योपशोभिता।
शमुघ्नी शत्रुसम्मोहजननी शत्रुतापिनी।।92।।
रक्ताभा, रक्तवस्त्रा, रक्तचन्दचर्चिता, रक्तेक्षणा, रक्तभक्ष्या, रक्तमत्ता, उरगाश्रया, रक्तदन्ता, रक्तजिह्वा, रक्तभ क्षणतत्परा, रक्तप्रिया, रक्ततुष्टा, रक्तपानसुतत्परा, बन्धूककुसुमाभा, रक्तमाल्या, रक्तानुलेपना, स्कूरद्रक्ताज्जिततनु, स्फुरत्सुर्यशतप्रभा, स्फुरन्नेत्रा, पिंगजटा, पिंगला, पिङ्गले क्षणा, बगला, पीतवस्त्रा, पीतपुष्पप्रिया, पीताम्बरा, पिबद्रक्ता, पीतपुष्पोपशोभिता, शत्रुघ्नी, शत्रुसम्मोहजननी, शत्रुतापिनी।
शत्रुप्रमद्रिनी शत्रुवाक्यस्तम्भनकारिणी।
उच्चाटनकरी सर्वदुष्टोत्सारणकारिणी।।93।।
शत्रुविद्राविणी शत्रुसम्मोहनकरी तथा।
विपक्षमद्रनकरी शत्रुपक्षक्षयङ्करी।।94।।
सर्वदुष्टघातिनी च सर्वदुष्टविनाशिनी।
द्विभुजा शूलहस्ता च त्रिशूलवरधारिणी।।95।।
दुष्टसन्तापजननी दुष्टक्षोभप्रवर्धिनी।
दुष्टानां क्षोमसम्बद्धा भक्त क्षोभनिवारिणी।।96।।
दुष्टसन्तापिनी दुष्टसन्तापपरिमद्रिनी।
सन्ताथरहिता भक्तसन्तापपरिनाशिनी।।97।।
शत्रुप्रमद्रिनी, शत्रुवाक्यस्तम्भनकारिणी, उच्चाटनकरी, सर्वदुष्टोत्सारणकारिणी, शत्रुविद्राविणी, शत्रुसम्मोहनकरी, विप क्षमद्रनकरी, शनुपक्ष क्षयङ्करी, सर्वदुष्टघातिनी, सर्वदुष्टविनाशिनी, द्वि भुजा, शूलहस्ता, त्रिशूलवरधारिणी, दुष्टसन्तापजननी, दुष्ट क्षोभप्रवीर्धनी, दुष्टनां क्षोभसम्बद्धा, भक्तक्षोभनिवारिणी, दुष्टसन्तापिनी, दुष्ट सन्तापपरिमद्रिनी, सन्तापरहिता, भक्तसन्ताप परिनाशिनी।
अद्वैता द्वैतरहिता निकला बयरूपिणी।
त्रिदशेशी त्रिलोकेशी सर्वेशी जगदीश्वरी।।98।।
स्रह्मेशसेवितपदा सर्ववच्छपदाष्ठजा।
अचिज्यरूपचरिता चाचिक्यबलविक्रमा।।99।।
सर्वाचिच्यप्रभावा च स्यप्रभावप्रदर्शिनी।
अचिक्यमहिमाचिक्यरूपसौन्दर्यशालिनी।।1००।।
अचिज्यवेशशोभा च लोकाचिज्यगुणान्विता।
अचिन्यशक्तिर्दुश्चिज्यप्रभावा चिज्यरूपिणी।।1०1।।
योगचिच्चा महाचिन्तानाशिनी चेतनात्मिका।
गिरजा दक्षजा विश्वजनयित्री जगअसू:।।1०2।।
अद्वैता, द्वैतरहिता, निष्कला, ब्रह्मरूपिणी, त्रिदशेशी, त्रिलोकेशी, सर्वेशी, जगदीश्वरी र ब्रह्मेशसेवितपदा, सर्ववन्धपदान्नजा, अचिन्स्परूपचरिता, अचिन्स्पबलविक्रमा, सर्वाचिज्यप्र भावा, स्वप्र भावप्रदर्शिनी, अचित्त्वमहिमा, अचिज्यरूपसौन्दर्यशालिनी, अचिज्यवेशशोभा, लोकाचिज्य गुणान्विता, अचित्त्वशक्ति, दुश्चित्त्वप्र भावा, चिज्यरूपिणी, योगचिज्या, महाचिन्तानाशिनी, चेतनात्मिका, गिरिजा, द क्षजा, विश्वजनयित्री, जगत्प्रसू।
संनभ्या प्रणता सर्वप्रणतार्तिहरा तथा।
प्रणतैश्वर्यदा सर्वप्रणताशुभनाशिनी।।1०३।।
प्रणतापन्नाशकरी प्रणताशुभमोचनी।
सिद्धेश्वरी सिद्धसेथ्या सिद्धचारणसेविता।।1०4।।
सिद्धिप्रदा सिद्धिकरी सर्वसिद्धगणेश्वरी
अष्टसिद्धिप्रदा सिद्धगणसेथ्यपदाष्ठजा।।1०5।।
कात्यायनी स्वधा स्वाहा वधश्वौषदस्वरूपिणी।
पिएणां शप्तेजननी कथ्यरूपा सुरेश्वरी।।1०6।।
इथ्यभोध्यी इथ्यतुष्टा पितृरूपगिसतप्रिया।
कृष्णपक्षप्रपूज्या च प्रेतपक्षसमर्पिता।।1०7।।
संनम्या, प्रणता, सर्वप्रणतार्तिहरा, प्रणतैश्वर्यदा, सर्वप्रणता, अशुभनाशिनी, प्रणतापन्नाशकरी, प्रणताशुभशेचनी, सिद्धेश्वरी, सिद्धसेव्या, सिद्धचारणसेविता, सिद्धिप्रदा, सिद्धिकरी, सर्वसिद्धगणेश्वरी, अष्टसिद्धि प्रदा, सिद्धगणसेव्यपदाम्बुजा, कात्यायनी, स्वधा, स्वाहा, वषह्वौषटस्वरूपिणी, पितृणांतृप्ति जननी, काव्यरूपा, सुरेश्वरी, हव्यभोक्यी, हव्यतुष्टा, पितृरूपा, असितप्रिया, कृष्णप क्षप्रपूज्या, प्रेतपक्षसमर्पिता।
अष्टहस्ता दशभुजा चाष्टादशभुजान्धिता।
चतुद्रशधुजाऽसंख्यभुजवल्लीविराजिता।।1०8।।
सिंहपृष्ठसमारूढा सहस्रभुजराजिता।
भुवनेशी चात्रपूर्णा मह्मत्रिपुरसुन्दरी।।1०9।।
त्रिपुरा सुन्दरी सौम्बंमुखी सुन्दरलोचना।
सुन्दरास्या शुभदंड़ा स्थ: पबंतनन्दिनी।।11०।।
नीलोत्यलदलश्यामा स्मेरोस्कूल्ममुखाम्बुजा।
सत्यसंधा पद्यवक्या भूकटीकुटिलानना।।111।।
विद्याधरी वरारोहा महासंध्यास्यरूपिणी।
अरुन्धती हिरण्याक्षी सुधूमाक्षी शुभेक्षणा।।112।।
अष्टहस्ता, दशभुजा, अष्टादश भुजान्विता, चतुद्रशभुजा, असंख्यभुजवल्ली विराजता, सिंहपृष्ठसमारूढा, सहस्रभुजराजिता, भुवनेशी, अन्नपूर्णा, महात्रिपुरसुन्दरी, त्रिपुरा, सुन्दरी, सौम्यमुखी, सुन्दरलोचना, सुन्दरास्या, शुभदंष्ट्रा, सुभ्रू पर्व तनन्दनी, नीलोत्पलदलश्यामा, स्मेरोस्कूल्लमुखाठजा, सत्यसंधा, पद्यवक्ता, भूकुटीकुटिलानना, विद्या धरी, वरारोहा, महासंध्यास्वरूपिणी, अरूश्वती, हिरण्या क्षी, सुघूम्राक्षी, शुभेक्षणा।
श्रुतिः त्तिः कृतिर्योगमाया धुण्या पुरातनी।
वाग्देवता वेदविद्या वसविद्यास्वरूपिणी।।11३।।
वेदशक्तिर्वेदमाता वेदाद्या परमागतिः।
आन्वीक्षिकी तर्कविद्या योगशास्मप्रकाशिनी।।114।।
धूमावती वियर्म्तिर्विद्युन्मालाविलासिनी।
महावता सदानन्दनदिनी नगनन्दिनी।।115।।
सुनन्दा यमुना चण्डी-रुद्रचण्डी प्रभावती।
पारिजातवनावासा पारिजातवनग्रिया।।116।।
सुपुष्पगन्धसन्तुष्टा दिम्पपुष्योपशोभिता।
पुष्यकाननसद्वासा पुथ्यमालाविलासिनी।।117।।
श्रुति, स्मृति, कृति, योगमाया, पुण्या, पुरातनी, वाग्देवता, वेदविद्या, ब्रह्मविद्यास्वरूपिणी, वेदशक्ति, वेदमाता, वेदाद्या, परमागति, आन्वीक्षिकी, तर्कविद्या, योगशास्त्रप्रकाशिनी, धूमावती, वियन्मूर्ति विद्यन्मालाविलासिनी, महाव्रता, सदानन्दनन्दिनी, नगनन्दिनी, सुनन्दा, यमुना, चण्डी, रुद्रचण्डी, प्रभावती, पारिजातवनावासा, पारिजातवनप्रिया, सुपुष्पगन्धसन्तुष्टा, दिव्यपुष्पोपशोभिता, पुष्पकाननसद्वासा, पुष्पमालाविलासिनी।
पुष्पमालधरा पुष्पगुच्छालंकृतदेहिका।
प्रतप्तकाज्जनाभासा शुद्धकाज्जनमण्डिता।।118।।
सुवर्णकुण्डलवती स्वर्णपुष्पप्रिया सदा।
नर्मदा सिसूनिलया समुद्रतनया तथा।।119।।
षोडशी षोडशभुजा महाभुजगमण्डिता।
पातालवासिनी नागी नागेन्द्रकृतभूषणा।।12०।।
नागिनी नागकन्या च नागमाता नगालया।
दुर्गापत्तारिणी दुर्गदुष्टग्रहनिवारिणी।।122।।
अभयापगिन्त्री च सर्वापत्यरिनाशिनी।
ब्रह्मण्या श्रुतिशास्त्रज्ञा जगतां कारणात्मिका।।122।।
पुष्पमाल्यधरा, पुष्पगुच्छालकृतदेहिका, प्रतप्तकाज्वनाभासा, शुद्धकाज्वनमण्डिता, सुवणकुण्डलवती, स्वर्णपुर्ष्पाप्रया, नर्मदा, सिन्धनिलया, समुद्रतनया, षोडशी, षोडशभुजा, महाभुजगमण्डिता, पातालवासिनी, नागी, नागेन्द्रकृतभूषणा, नागिनी, नणकन्या, नागमाता, नगालया, दुर्गापत्तारिणी, दुर्गदुष्टग्रहनिवारिणी, अभया, आपत्रिहन्त्री, सवापत्परिनाशिनी, ब्रह्मण्या, श्रुतिशास्त्रज्ञा, जगतांकारणात्मिका।
निष्कारणा जन्महीना मृत्युञ्चयमनोरमा।
मृत्युञ्चहृदावासा मूलाधारनिवासिनी।।123।।
षदचक्रसंस्था महती महोत्सवविलासिनी।
रोहिणी सुन्दरमुखी सर्वविद्याविशारदा।।124।।
सदसद्वस्तुरूपा च निष्कामा कामपीडिता।
कामातुरा काममत्ता काममानससत्तनु।।125।।
कामरूपा च कालिन्दी कचालम्बितविग्रहा।
अतसीकृसुमाभासा सिहपृष्ठनिषेदुषी।। 126।।
युवती यौवनोद्रिक्ता यौवनोद्रिक्तमानसा।
अदितिर्देवजननी त्रिदशार्तिविनाशिनी।।127।।
निष्कारणा, जन्महीना, मृत्युनयमनोरमा, मृत्युनयहृदावासा, मूलाधारनिवासिनी, षटचक्रसंस्था, महती, महोत्सवविलासिनी, रोहिणी, सुन्दरमुखी, सर्वविद्याविशारदा, सदसद्वस्तुरूपा, निष्कामा, कामपीड़िता, कामातुरा, काममत्ता, काममानससजनु, कामरूपा, कालिन्दी, कचालम्बितविग्रहा, अतसीकुसुमाभासार सिंहपृष्ठनिषेदुषी, युवती, यावनोद्रिक्ता, यौवनोद्रिक्तमानसा, अदिति, देवजननी, त्रिदशार्तिविनाशिनी।
दक्षिणाऽर्ववसना पूर्वकालवर्जिता।
अशोका शोकरहिता सवंशोकनिवारिणी।।128।।
अशोककृसुमाभासा शोकदुःखक्षयङ्करी।
सर्वयोषिक्यरूपा च सवंप्राणिमनोरमा।।129।।
महाश्चर्या मंदाश्चर्या महामोहस्वरूपिणी।
महामोक्षकरी मोहकारिणी मोहदायिनी।।13०।।
अशोव्या पूर्णकामा च पूर्णापूर्णमनोरथा।
पूर्णाभिलषिता पूर्णनिशानाथसमानना।।1३1।।
द्वादशार्कस्वरूपा च सहस्रार्कसमप्रभा।
तेजस्विनी सिद्धमात्रा चन्द्रानयनरक्षणा।।1३2।।
दक्षिणा, अपूर्ववसना, पूर्वकालविवर्जिता, अशोका, शोकरहिता, सर्वशोकनिवारिणी, अशोककुसुमाभासा, शोकदुःख क्षयङ्करी, सर्वयोषित्सरूपा, सर्वप्राणिमनोरमा, महाश्चर्या, मदाश्चर्या, महामोहस्वरूपिणी, महामो क्षकरी, मोहकारिणी, मोहदायिनी, अशोच्या, पूर्णकामा, पूर्णा, पूर्णमनोरथा, पूर्णाभिलषिता, पूर्णनिशानाथसमानना, द्वादशार्कस्वरूपा, सहस्रार्कसमप्रभा, तेजस्विनी, सिद्धमात्रा, चन्द्रानयनर क्षणा।
अपरापारमाहाक्या नित्यविज्ञानशालिनी।
विवस्वती हव्यवाह्म जातवेद स्वरूपिणी।।13३।।
स्वैरिणी स्वेच्छविहारा निबीजा बीजरूपिणी।
अनन्तवर्णाऽनन्ताख्याग्नन्तसंस्था महोदरी।।134।।
दुष्टभूतापहन्त्री च सद्वृत्तपरिपालिका।
कपालिनी पानमत्ता भत्तवारणगामिनी।।135।।
विन्ध्यस्था विन्ध्यनिलया विन्ध्यपर्वतवासिनी।
बन्धुप्रिया जगदबन्धुः पवित्रा सपवित्रिणी।।1३6।।
परामृताऽमृतकला चापमृत्युविनाशिनी।
महारजतसंकाशा रजताद्रिनिवासिनी।।137।।
अपरा, अपारमाहात्म्या, नित्यविज्ञानशालिनी, विवस्वती, हव्यवाहा, जातवेदः स्वरूपिणी, स्वैरिणी, स्वेच्छविहरा, निर्बीजा, बीजरूपिणी, अनन्तवर्णा, अनन्ताख्या, अनन्तस्स्था, महोदरी, दुष्टभूतापहन्त्री, सद्वृत्परिपालिका, कपालिनी, पानमत्ता, भतवारणगामिनी, विन्ध्यस्था, विम्मनिलया, विम्मपर्वतवासिनी, बन्धुप्रिया, जगद्बन्धु, सवित्रा, सपवित्रिणी, परा, अमृता, अमृतकला, अपमृत्युविनाशिनी, महारजतसकाशा, जताद्रिनिवासिनी।
काशीविलासिनी काशीक्षेत्ररक्षणतत्परा।
योनिरूपा योनिपीठस्थिता योनिस्वरूपिणी।।138।।
कामालसितचार्बङ्गी कटाक्षक्षेपभोहिनी।
कटाक्षक्षेषनिरता कल्पक् क्षस्वरूपिणी।।138।।
पाशाङन्हशधरा शक्तिर्थारिणी खेटकाबुधा।
बाणायुथाऽमोघशस्त्रा दिथ्यशस्त्रास्त्रवर्षिणी।।140।।
महास्त्रजालविक्षेपबिपक्षक्षयकारिणी।
अण्टिनी पाशिनी पाशहस्ता पाशाडत्कुशायुथा।।141।।
चित्रसिंहासनगता मह्मसिंहासनस्थिता।
मन्त्रात्मिका मन्त्रबीजा मन्त्राधिष्ठाइदेवता।।142।।
काशीविलासिनी, काशी क्षेत्रर क्षणतत्परा, योनिरूपा, योनिपीखइस्थता, योनिस्वरूपिणी, कामालसितचार्वङ्गी, कटाक्ष क्षेपमोहिनी, कटा क्ष क्षेपनिरता, कल्पवृक्षस्वरूपिणी, पाशाडत्कुशधरा, शक्तिधारिणी, खेटकायुधा, बाणायुधा, अमोघशस्त्रा, दिव्यशस्त्रा, अस्त्रवर्षिणी, महास्त्रजाल विक्षेपविप क्षक्षयकारिणी, घण्टिनी, पाशिनी, पाशहस्ता, पाशाडत्कुशायुधा, चित्रसिहासनगता, महसिहासनस्थिता, मन्त्रात्मिका, मन्त्रबीजा, मन्त्राधिष्ठतृदेवता।
सुरुपाऽनेकरूपा च विरूपा बहुरूपिणी।
विरूपाक्षप्रियतमा विरूपाक्षमनोरमा।।14३।।
विरूपाक्षा कोटराक्षी ङस्था खरूपिणी।
करालास्या विशालास्या थर्मशास्त्रार्थपारगा।।144।।
अध्यात्मविद्या शास्वार्थकुशला शैलनन्दिनी।
नगाधिराजपुत्री च नगपुत्रीम नगोद्धवा।।145।।
गिरीन्द्रबाला गिरिशप्राणतुल्या मनोरमा।
प्रसन्ना चारुवदना प्रसत्रास्या प्रसब्रदा।। 146।।
शिवप्राणा पतिप्राणा पतिसम्मोहकारिणी।
मृगाक्षी चञ्चलापाङ्गी सुदष्टिहँसगामिनी।।147।।
सुरूपा, अनेकरूपा, विरूपा, बहुरूपिणी, विरूपा क्षप्रियतगा, विरूपाक्ष मनोरमा, विरूपाक्षा, कोटराक्षी, कूटस्था, कूटरूपिणी, करालास्या, विशालास्या, धर्मशास्त्रार्थपारगा, अध्यात्मविद्या, शास्त्रा र्थ कुशला, शैलनन्दिनी, नगाधिराजपुत्री, नगपुत्री, नगोद्धवा, गिरीन्द्रबाला, गिरिशप्राणतुल्या, मनोरमा, प्रसन्ना, चारुवदना, प्रसन्नास्या, प्रसन्नदा, शिवप्राणा, पतिप्राणा, पतिसम्मोहकारिणी, मृगाक्षी, चस्थ्यलापाङ्गी, सुदृष्टि, हंसगामिनी।
नित्यं कृतूहलपरा, नित्यानन्दाभिनन्दिता।
सत्यविज्ञानरूपा च तत्त्वज्ञानैककारिणी।।148।।
त्रैलोक्यसाक्षिणी लोकधर्माधर्मप्रदर्शिनी।
धर्माधर्मविद्यात्री च शम्भुप्राणात्मिका परा।।149।।
मेनकागर्भसब्यूता मैनाकभगिनी तथा।
श्रीकण्खकण्यारा च श्रीकण्न्ददयस्थिता।।15०।।
श्रीकण्क्कण्ठजप्या च नीलकण्ख्यनोरमा।
कालकूटात्मिका कालरूटभक्षणकारिणी।।151।।
महाकालप्रिया कालकलनैकबिधायिनी।
अक्षोभ्यपत्नी संक्षोभनाशिनी से नमो नमः।।152।।
नित्यं, कुतूहलपरा, नित्यानन्दा, अभिनन्दिता, सत्यविज्ञानरूपा, तत्त्वज्ञानैककारिणी, त्रैलोक्यसाक्षिणी, लोकधर्माधर्मप्रदर्शिनी, धर्माधर्मविधात्री, शम्मुप्राणात्मिका, पर।, मेनका-गर्भसम्पूता, मैनाकभगिनी, श्रीकण्तकण्कारा, श्रीकण्ठहृदयस्थिता, श्रीकण्क्कण्ठजप्या, श्रीकण्ठमनोरमा, कालकूटात्मिका, कालकूटभक्षणकारिणी, महाकालप्रिया, कालक-लनैकविधायिनी, अक्षोध्यपत्नी, संक्षोभनाशिनी, आपको बारम्बार नमस्कार है।
इस सहस्रनाम से स्तुति की गई पार्वती ने कहा-''आप मेरे प्राणसदृश पति हैं। मैं आपकी अनन्य अर्धाङ्गिंनी हूँ। मैं आपके कठोर तप से आराधित होकर पुनः आपको पति रूप में प्राप्त करूँगी।'' शम्भु ने कहा-''आप श्रेज्रम आराध्या, जगन्माता और पराप्रकृति हैं। आप मेरे ऊपर कृपा करें। शिवे! मैं एक वर हेतु प्रार्थना करता हूँ-जह्मँ-जझँ आपका काली रूप स्थापित ह्मे वहां-वहां मेरे हृदय पर भी कल्याणकारी उस रूप की स्थापना हो"-
यत्र यत्र तवेदं हि कालीरूप मनोहरम्।
आविर्भवति तत्रैव शिवरूपस्य मे हृदि।।
'हे जगदम्बिके! आप इस भूमि पर शववाहना महाकाली के नाम से प्रसिद्ध होगी।'' शिव द्वारा ऐसा कहने पर 'ऐसा ही हो' कहकर पुनः गौरी रूप में हो गई।
भगवान शिव द्वारा कहे गये देवी के इस सहस्रनाम स्तोत्र से जो व्यक्ति भक्ति से पाठ करता है वह देवी सारूप्य मोक्ष को पाता है, जो साधक गन्ध, पुष्प, धूप एवं दीपक से महेश्वरी की आराधना कर स्तोत्र पढ़ता है, वह परम पद पाता है। प्रतिदिन स्तुति करने वाले को सर्वसिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। देवी की कृपा से साधक देवी अंश हो जाता है।
|
- अपनी बात
- कामना
- गीता साहित्य
- भगवती चरित्र कथा
- शिवजी द्वारा काली के सहस्रनाम
- शिव-पार्वती विवाह
- राम की सहायता कर दुष्टों की संहारिका
- देवी की सर्वव्यापकता, देवी लोक और स्वरूप
- शारदीय पूजाविधान, माहात्म्य तथा फल
- भगवती का भूभार हरण हेतु कृष्णावतार
- कालीदर्शन से इन्द्र का ब्रह्महत्या से छूटना-
- माहात्म्य देवी पुराण
- कामाख्या कवच का माहात्म्य
- कामाख्या कवच
- प्रथमोऽध्यायः : भगवती गीता
- द्वितीयोऽध्याय : शरीर की नश्वरता एवं अनासक्तयोग का वर्णन
- तृतीयोऽध्यायः - देवी भक्ति की महिमा
- चतुर्थोऽध्यायः - अनन्य शरणागति की महिमा
- पञ्चमोऽध्यायः - श्री भगवती गीता (पार्वती गीता) माहात्म्य
- श्री भगवती स्तोत्रम्
- लघु दुर्गा सप्तशती
- रुद्रचण्डी
- देवी-पुष्पाञ्जलि-स्तोत्रम्
- संक्षेप में पूजन विधि