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कामतानाथ संकलित कहानियां

कामतानाथ

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :207
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6427
आईएसबीएन :978-81-237-5247

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आम जनजीवन से उठाई गई ये कहानियां कथाकार के रचना-कौशल की वजह से ग्रहण के स्तर पर एक तरफ बतरस का मजा देती हैं तो दूसरी तरफ प्रभाव के स्तर पर उद्वेलित करती हैं...


मुश्किल से उसे दो-तीन मिनट लगे होंगे। परंतु वह फिर भी उसके ऊपर लेटा रहा। "उठो!" उसने कहा तो वह उठकर बैठ गया। वह भी उठ पड़ी और अपनी ब्रेसरी के बकल्स ठीक करने लगी। उठते-उठते उसने एक बार फिर उसे निकट खींचकर सीने से लगा लिया और उठकर अपना कोट पहनने लगा। उसने ब्लाउज के बटन बंद किए और खड़े होकर साड़ी की चुन्नट ठीक करने लगी। उन्हें फिर बू का एहसास होने लगा था।

"लाश डिकंपोज हो रही है?" उसने कहा।

"पता नहीं।" उसने उत्तर दिया और उसे साड़ी ठीक करते देखता रहा।

"दरवाज़ा खोलूं?" उसने पूछा।

बड़े आहिस्ता से उसने सिटकनी खोली, पल्लों को जरा-सा हटाकर बाहर झांककर देखा। सामने टी. बी. वार्ड की खिड़कियों की रोशनी चमक रही थी। चांद ताड़ के पेड़ के थोड़ा और ऊपर चढ़ आया था।

"पहले मुझे निकल जाने दो।" उसने कहा।

"ठीक है।" उसने दरवाजे की झिरी को बड़ा कर दिया।

वह बाहर निकल आई और बिना किसी ओर देखे हेज के बराबर से होती हुई अपने वार्ड की आरे चली गई।

वह कुछ देर वहीं दरवाजे पर खड़ा रहा। तब बाहर निकलकर ताला बंद किया

और खड़े होकर साइड की दीवार पर पेशाब करने लगा। पेशाब कर चुकने के बाद वह भी अपने वार्ड की ओर चल दिया।

बरांडे में पहुंचकर उसने सिगरेट जला ली। घड़ी देखी। दो बजाकर बीस मिनट हुए थे। चलते-चलते उसने अपने पुट्ठों पर हाथ ले जाकर पतलून की धूल झाड़ी। कोट की आस्तीनों आदि पर भी हाथ फिराकर उन्हें झाड़ा। बालों को हाथ से सेट किया और वार्ड के अंदर आ गया।

सिस्टर अपनी जगह पर नहीं थी। उसने चारों ओर दृष्टि घुमाकर देखा। सिस्टर कहीं दिखाई नहीं दी। तीन नंबर का मरीज उठकर बैठा हुआ गिलास से पानी पी रहा था। पानी पीते-पीते उसने एक बार उसे देखा और गिलास नीचे रखकर लेट गया।

वह अपनी टेबुल पर आ गया। मार्चरी की कुंजी निकालकर उसने मेज़ की ड्रार में रख दी और बाथरूम चला गया। हाथ-मुंह धोया, बालों में कंघी की, कोट उतारकर उसे दोबारा झाड़ा, पतलून की क्रीज ठीक की और लौटकर फिर अपनी टेबुल पर बैठ गया।

तब तक सिस्टर आ चुकी थी।

कहां गई थीं? उसने सोचा वह पूछे, परंतु फिर टाल गया। कुर्सी पर थोड़ा आगे खिसककर उसने पैरों को हीटर के और निकट कर लिया और नयी सिगरेट जल ली।

सिस्टर उठकर बाथरूम चली गई।

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