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जीवनी/आत्मकथा >> बराक ओबामा

बराक ओबामा

राजीव तिवारी

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :199
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6896
आईएसबीएन :978-81-288-1210

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बराक ओबामा अमेरिका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति

Barack Obama America Ke Pratham Rashtrapati - A Hindi Book - by Rajash Tiwari

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बराक हुसैन ओबामा के अमेरिका राष्ट्रपति चुने जाने से जातीय भेदभाव की दीवार टूट गई है। अश्वेत कीनियाई पिता और कान्साई माता के पुत्र, ओबामा की जीत ने जातीय भेदभाव की सभी सीमाएं तोड़कर एक ऐसे व्यक्ति द्वारा बुलंदी को छूने की असाधारण उपलब्धि को प्रस्तुत किया है जो चार साल पहले इलिनॉयस सीनेट में कार्यरत थे।
ओबामा की भारी जीत से अमेरिका में युवा क्रियाशीलता झलकती है, जिसकी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति के नाते पहली बार किसी अफ्रीकी-अमेरिकी ने देश के सर्वोतम कार्यालय में धाक जमाई है और यह एक ऐतिहासिक क्षण है जब किसी नए आगंतुक ने पहले ही प्रयत्न में व्हाइट हाउस पर विजय पताका लहराई हैं।
अपने आप में विलक्षण इस पुस्तक में पाठकों को, ओबामा के बचपन माता-पिता, परिवार, पढ़ाई, वैवाहिक जीवन और इन तमाम बातों से ऊपर विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय विवादों पर ओबामा के विचारों के अलावा और भी बहुत कुछ मिलेगा। भारत के प्रति उनकी विचारधारा और नीतियों को भी इस पुस्तक में शामिल किया गया है।

परिचय


अमेरिका की राजधानी में जातिगत प्रतिबंध को अंतिम रूप से पूर्णतः नकारते हुए, बराक हुसैन ओबामा को देश के प्रथम अश्वेत मुख्य कार्यकारी के रूप में 44वां राष्ट्रपति किया गया।
डैमोक्रेटिक पार्टी के ओबामा को 4 नवम्बर 2008 को संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। इलिनॉयस से सीनेट के 47 वर्षीय सीनेटर ने रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर जॉन मैक्केन को हराया। मतदान के दिन 13 से 14 करोड़ लोगों ने रिकार्ड मतदान किया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था। ओबामा को 2० जनवरी 2009 को राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई जाएगी।

ओबामा का निर्वाचन राष्ट्रीय भाव-विरेचन - ऐतिहासिक तौर पर लोग - अप्रिय तथा देश की दिशा एवं शैली मे परिवर्तन के लिए, ओबामा की पुकार के प्रति आकर्षण सिद्ध हुआ।
परंतु यह देश के जातिगत इतिहस से भरपूर विकास में एक विशेष सांकेतिक क्षण था एक ऐसा कदम जिसके बारे में पिछले दो वर्षों तक सोचना भी संभव नहीं था।
इलिनॉयस से पहली बार सीनेटर से 47 वर्षीय ओबामा ने ऐरीज़ोना के 72 वर्षीय सीनेटर, जान मैक्केन, जो एक पूर्व युद्धबंदी है और राष्ट्रपति पद के लिए दूसरी बार प्रयासरत थे, को पराजित किया।
अंत तक मैक्केन के चुनाव प्रचार पर एक ऐसे प्रतिरोधी की छाया पड़ रही थी जिसमें चमत्कार करने की कोई कमी नहीं थी जिसने लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ को आकर्षित किया जो कि ओबामा की जीत के भाषण को सुनने के लिए शिकागो के ग्रांट पार्क में उमड़ पड़े।

मैक्केन ने भी प्रतिकूल राजनैतिक वातावरण राष्ट्रपति बुश द्वारा दिए गए बोझ तथा आम चुनावों के प्रचार के मध्य में आर्थिक मंदी जैसी निष्ठुर विपक्षी हवाओं का सामना किया।
‘‘यदि अभी भी कहीं कोई ऐसा व्यक्ति हैं जिसके मन में संदेह हो कि अमेरिका एक ऐसा देश है जहाँ यह बातें संभव हैं, जिसे अब भी आश्चर्य हो कि हमारे समय में भी हमारे संस्थापकों का सामना जीवित हैं, जो अब भी हमारे लोकतंत्र की शक्ति पर उंगली उठाता है, तो आज रात ही आपको उत्तर मिल जाएगा,’’ ओबामा ने कहा, जो कि लकड़ी के एक बड़े प्लेटफार्म के सामने खड़े थे और जिनके पीछे अमेरिका के ध्वजों की कतार लगी थी और जिनकी दृष्टि शिकागो की उस रात में दूर तक फैले लोगों की भीड़ पर पड़ रही थी। नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने आगे कहा, ‘‘परिवर्तन को आने में बहुत समय लग चुका था, परंतु इस निर्वाचन में, इस निर्णायक समय पर, हमने जो भी किया उसके कारण आज की रात अमेरिका में परिवर्तन आ ही गया है।’’

मैक्केन ने अपना समर्थन-भाषण फोएनिक्स में ऐरीजोना बिल्टमोर के हरे-भरे मैदान में साफ आकाश तले दिया, जहाँ उन्होंने अपनी पत्नी के साथ विवाह का स्वागत समारोह मनाया था। जब उन्होंने अपने भाषण में ओबामा को उनकी जीत के लिए बधाई दी और उस पल के ऐतिहासिक महत्त्व को प्रणाम किया तो भीड़ में से छिः-छिः की छुट-पुट आवाजें आने लगीं।

‘‘यह एक ऐतिहासिक चुनाव है और मैं अमेरिका के अफ्रीकियों के लिए इसके महत्व तथा आज की रात उनके विशेष गर्व को स्वीकार करता हूँ,’’ मैक्केन ने ऐसा कहते हुए आगे कहा, ‘‘हम दोनों यह महसूस करते हैं कि हमने उन अन्यायों को बहुत पीछे छोड़ दिया है जो कभी हमारे देश की प्रतिष्ठा पर दाग लगाते थे।’’
ओबामा ने केवल राष्ट्रपति का पद ही नहीं जीता है, बल्कि उन्होंने अपनी पार्टी को कांग्रेस में भी महत्त्वपूर्ण बढ़त दिलाई है। इसके कारण 1995 में जब बिल क्लिंटन राष्ट्रपति थे, के बाद पहली बार कांग्रेस, सीनेट और व्हाइट-हाऊस का नियंत्रण डैमोक्रेटस के हाथों में आ गया है।

वह दिन इतिहास के साथ झिलमिलाने लगा क्योंकि मतदाताओं ने उस अभियान को निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए, जिसे पिछले दो वर्षों से अमेरिका की जनता की ओर से असाधारण समर्थन मिल रहा था, दिन चढ़ने से पहले मतदान शुरू होने से घंटों पहले लाइनों में लगना शुरू कर दिया था।
जैसे ही सफलताओं का पता चलता गया और ओबामा एक के बाद दूसरी मंजिल को पार करते गए-ओहियो, फ्लोरिडा, वर्जीनिया, पैन्सिलवानिया, न्यू हैम्पशायर आयोवा तथा न्यू मैक्सिको के लोग तत्काल गलियों में निकल पड़े और ऐसा उत्सव मनाने लगे जिसे अनेक लोगों ने, शायद उचित उल्लासपूर्ण अत्योक्ति के रूप में, ऐसे देश में एक नए युग के रूप में परिभाषित किया, जहाँ केवल 143 वर्ष पहले तक ओबामा को एक अश्वेत के रूप में, एक गुलाम के तौर पर दास प्रथा का शिकार बनना पड़ा था।

रिपब्लिकन पार्टी वालों के लिए, विशेषकर उन रूढ़िवादियों के लिए, जो पिछले तीन दशकों से पार्टी में अपना दबदबा बनाए रहे वह रात एक कठोर झटका सिद्ध हुई और उन्हें यह सोचने पर मज़बूर होना पड़ा कि अमेरिका की राजनीति में आज उनकी क्या स्थिति है।
कैपिटल हिल की धरती पर आज ओबामा और उसकी विस्तश्त डैमोक्रेटिक पार्टी के सामने एक विकट दौर में देश का शासन चलाने की जिम्मेदारी हैः देर तक चलने वाली भारी मंदी तथा दो युद्धों की संभावना है। उन्होंने अपने एक भाषण में इन परिस्थितियों का उल्लेख किया था, जोकि गंभीरता तथा इलैक्टोरल-कॉलेज में भारी जीत की रात मनाई, खुशियों के उल्लेख की अनुपस्थिति के कारण प्रशंसनीय था।

‘‘आगे का रास्ता लंबा होगा हमारे लिए चढ़ाई दुर्गम होगी’’, ओबामा ने कहा, और उनके श्रोता शांतिपूर्वक ध्यान से उनको सुन रहे थे, और उनमें से कुछ अपनी आंखों से आंसू पोंछ रहे थे। ‘‘शायद हम एक वर्ष अथवा एक अवधि में भी अपनी मंजिल तक  न पहुँच पाए, परंतु अमेरिका, मैं आज की रात से अधिक आशावादी कभी नहीं रहा हूँ, और कह सकता हूँ कि हम अवश्य पहुंचेंगे। मैं आपको वचन देता हूँ कि हम सभी लोग वहाँ अवश्य पहुंचेंगे।’’
ओबामा एक ऐसे चुनाव के बाद राष्ट्रपति का पद संभालेंगे, जिसके दौरान उन्होंने कई स्पष्ट वायदे किए हैः अधिकतर अमेरिकावासियों के लिए करों में कमी एक तीव्र एवं सधे हुए ढंग से अमेरिका को ईराक से निकालना, तथा स्वास्थ्य-सुधार मे विस्तार।...


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