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ऐतिहासिक >> विराटा की पद्मिनी

विराटा की पद्मिनी

वृंदावनलाल वर्मा

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :264
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7101
आईएसबीएन :81-7315-016-8

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वृंदावनलाल वर्मा का एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक उपन्यास...

:२७:

राजा देवीसिंह की सेना सिंहगढ़ के घेरे में हार गई और भागकर दलीपनगर पहुँची। विजय की अपेक्षा पराजय का समाचार ज्यादा जल्दी फैलता है। राज्य-भर के और आस-पास के लोग सुनकर घबराने लगे। अलीमर्दान के वे दस्ते, जो राजादेवीसिंह की सेना का सामना कर रहे थे. अधिक उत्साह के साथ लड़ने लगे।
देवीसिंह ने जनार्दन से कहलवा भेजा, 'यदि लोचनसिंह से काम न चलता हो, तो किसी दूसरे सरदार को सिंहगढ़ भेजो। यहाँ उसे मत लौटाना। मैं उसका मुँह नहीं देखना चाहता।'

जनार्दन ने सामयिक स्थिति पर बातचीत करते हुए लोचनसिंह से कहा, 'यदि आप सीधे सिंहगढ़ चले जाते, तो अच्छा होता। राजा की आज्ञा का उल्लंघन करके अच्छा नहीं किया।'


'इधर आपकी राजधानी खाक में मिल जाती। मैं न आता, तो यहाँ कौन लड़ता?' 'राजा किसी न किसी को भेजते। परंतु जो हो गया, सो हो गया। सिंहगढ़ को किसी तरह हाथ में लेना चाहिए, नहीं तो इस राज्य की कुशल नहीं।'

'और यदि दलीपनगर भी हाथ से निकल गया, तो आपको आराम से बैठे-बैठे बातचीत करने के लिए जगह तक का ठिकाना न रहेगा।'

'महाराज की आज्ञा है कि आप सिंहगढ़ जाएँ।' 'वह पुरानी बात है। यदि काम करना है, तो उसे तो यों ही मानूँगा और नहीं करना है तो अपने घर चला जाऊँगा, परंतु युद्ध के विषय में मैं पंडितों की आज्ञा नहीं लिया करता।'


'महाराज ने क्या कहलवाया है, जानते हो?' जनार्दन ने उत्तेजित होकर कहा, और युद्ध के दिनों में घर बैठ जाना तो किसी भी सरदार को शोभा नहीं देता।'


लोचनसिंह ने पूछा, 'महाराज ने क्या कहलवाया है जी?' सावधानी के साथ जनार्दन ने उत्तर दिया, 'यह कि यहाँ न आकर सीधे सिंहगढ़ जाएँ।'


लोचनसिंह ने कहा, 'आपने यहाँ के विषय में लिख दिया था या नहीं कि क्या-क्या हुआ। किस-किस संकट में राजधानी पड़ गई थी।'

उत्तर मिला, 'सब लिख दिया था।' 'महाराज ने कुछ और कहलवा भेजा है?' उसने पूछा।


जनार्दन बोला, और तो कुछ याद नहीं पड़ता। जबस्मरण हो आवेगा, बतला दूंगा। अभी तो अपना काम देखिए।'

लोचनसिंह ने तड़ककर कहा, 'तो अब राजा को सूचित कर दो कि जहाँ पौरुष की कदर नहीं, वहाँ लोचनसिंह नहीं रहेगा।' और जनार्दन के विनय-प्रार्थना करने पर भी वहाँ से उठ गया।

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