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भूतनाथ (सेट)

देवकीनन्दन खत्री

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :2177
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 7144
आईएसबीएन :000000000

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तिलिस्म और ऐयारी संसार की सबसे अधिक महत्वपूर्ण रचना

प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
विद्या, ज्ञान, शिक्षण, प्रशिक्षण बनाम शिक्षा
उपरोक्त दिए गए विवरण के अनुसार हम यह कह सकते हैं कि शिक्षा इनपुट है। अगर यहाँ पर हम विद्या की बात करें तो विद्या एक व्यापक शब्द है जिसमें सीखने सिखाने के साथ कौशल और तजुर्बा आदि का भी समावेश होता है। शिक्षा किताबी या फिर इसे यूँ भी कह सकते हैं कि सैद्धान्तिक होती है और जब इसमें हमारा अनुभव जुड़ जाता है तब अनुभव के साथ चेतना का भी जुड़ाव देखने को मिलता है तब कहीं जाकर शिक्षा कोई बाहरी चीज न होकर के हमारा ही एक अंग बनने लग जाती है तब वो हमारे आचरण में उतरता है और फिर जब वह हमारे आचरण में उतर जाता है तब हम ये कहते हैं कि शिक्षा अब विद्या में तब्दील होने लग गयी है। इसलिए शिक्षित होने में और विद्वान होने में फर्क होता है। जब हम शिक्षा का प्रयोग करके अपनी समझ को और विस्तार देते हैं तब नई चीजों का सृजन होता है। अगर आप किसी डाक्टर, इंजीनियर या फिर वकील से पूछें कि आपने यहाँ तक की शिक्षा ग्रहण की तो वह कहेंगे कि उसने डाक्टरी या वकालत की शिक्षा ग्रहण की है जिसके कारण वह इस व्यवसाय को अपना सका है। अतः यह स्पष्ट है कि शिक्षा का उसके विशिष्ट व्यवसाय से सीधा सम्बन्ध देखने को मिलता है। डाक्टरी शिक्षा प्राप्त करके व्यक्ति वकालत नहीं कर सकता और वकालत की शिक्षा प्राप्त करके व्यक्ति इंजीनियर नहीं बन सकता है। शिक्षा का सम्बन्ध अनुभवों तथा सीखने की सीढ़ी पर आधारित होता है जिसे विशिष्ट श्रेणी के लोग प्राप्त होते हैं तथा विशिष्ट वर्ग की ओर उन्मुख होते हैं। शिक्षा आगे चलकर जीविका का साधन बनती है। मानव जीवन को आदर्श स्वरूप बनाने का कार्य शिक्षा करती है। शिक्षा नवीन दिशा तथा नवीन मार्ग दिखाती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न 1

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