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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


"क्या पूछे चचाजान !” वे कुछ गंभीर हो जाते हैं, “बतलाइए, हमारी टूटी मस्जिद गिराकर आपने क्या हासिल कर लिया?" वे व्यंग्य से ठहाका लगाते हैं।

हम भी हंसने का प्रयास करते हैं, पर कुछ झेंपते हुए जैसे।

सगीर मियां स्थिति संभाल लेते हैं, “आप हमारे बुजुर्गवार हैं। चचाजान ! आप मंदिर गिराएं, मस्जिद गिराएं, आपको पूरा-पूरा हक है। वे दोनों ही आपकी हैं। हम तो यहां एक ख़ास मकसद से आए थे..." वे पत्नी की ओर देखते हैं, “फातिमा बेगम कब से इंतजार में थीं कि देखें, चचाजान हमारे लिए हिंदुस्तान से क्या लाते हैं..."

थोड़ी ही देर में रमा चाय लेकर आती है। प्लेट में मिठाई भी।

“ये तो यहां की नहीं- !” सगीर मियां देखते ही चहक पड़ते हैं।

"जी हां, बाबूजी लाए हैं.."

"चांदनी चौक की है। बड़ी मशहूर दूकान है..” मैं कह ही रहा। होता हूं कि सगीर मियां मुंह बनाते हुए गंभीर स्वर में बोल पड़ते हैं, “तब तो चचाजान, हम नहीं खाएंगे। अम्मीजान मारेंगी..."

"सो क्यों...?" हम आश्चर्य से कहते हैं।

"अरे, उनके मैके से मिठाई आए और उन्हें दिए बगैर, हम बिना

इजाज़त पहले खा लें तो क्या मारेंगी नहीं...?" सगीर हंसते हैं, तो हम सब भी हंस पड़ते हैं।

'उनके लिए भी रखी है बेटे, तुम तो खाओ।”

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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