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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


“इसके दो तरह के अंत हो सकते हैं-एक सुखांत, दूसरा दुखांत !”

“दुखांत में क्या होगा !"

“जाते समय तुग अवरुद्ध कंठ से मुझसे कहोगी कि हजारों वर्षों से पिरामिडों में जो ‘ममियां रखी जाती थीं, उन्हें भारत के मलमल के कपड़े में लपेटा जाता था। तुम भारत पहुंचकर मेरे लिए वैसा ही सफेद कपड़ा भेज देना। अपनी मृत्यु से पूर्व, अंतिम इच्छा के रूप में मैं उसका उल्लेख कर जाऊंगी कि तुम्हारा दिया वही कपड़ा लपेटकर मुझे चिरनिद्रा में सुलाया जाए। वही वस्त्र मेरा अंतिम वस्त्र होगा...!"

मैं देख रहा था, ज्यों-ज्यों मैं आगे बढ़ रहा था, त्यों-त्यों तुम गंभीर होती चली जा रही थीं।

"अच्छा, सुखांत में..."

"सुखांत में तुम घर लौटने की खुशी में चहकोगी। मेरे जाने के अवसर पर एक अच्छी-सी दावत दोगी। और जाते समय हवाईअड्डे तक आकर, मुस्कराते हुए मुझे विदा करोगी-‘फिर मिलेंगे' कहती हुई।"

मैं तुमसे एक दिन पहले ओस्लो से जाता हूं।

कहानी के ये दोनों ही अंत, अंत में सच नहीं निकल पाते। भारत पहुंचने के दो सप्ताह पश्चात तुम्हारा काहिरा से भेजा संक्षिप्त-सा पत्र मिलता है :

"जिंदगी में मैं दो ही बार दहाड़ मारकर रोई-एक उस दिन जब राष्ट्रपति नासिर की हत्या हुई थी और दूसरी बार उस रात जब तुम गए और उस भुतहा 'गेस्ट हाउस में मैं निपट अकेली रह गई थी !”

***

 

 

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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