श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से वयस्क किस्सेमस्तराम मस्त
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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से
चन्दा....।
हां आण्टी।
हम लोगों को मजा इसी में होता है। ध्यान से सीखो, रात को सोने आया करो तो हम और
तुम दोनों जम कर इसका मजा लेगें। इसको भी एक साथ दो का मजा आयेगा। यह कुछ जानता
नहीं है और बिलकुल अनाड़ी है वरना पहले तुम्हीं से इसका जोड़ा खिलवा देती। और
तुम भी तो अभी कुछ नहीं जानती।
हां आण्टी।
इसको ध्यान से देखो अभी जवानी की मस्ती कैसे छलकायेगा। अभी कुवांरा है इसलिए
पानी को निचोड़ कर इसको काम लायक बनाना होगा।
ऐसे अनछुओं को अगर हमलोग अपनी ठंडी आग दिखा दें तो ये तो सीधे भस्म ही हो
जायें, यह कहकर चाची ने साड़ी के ऊपर से अपने छुपी हुई औरत को हथेली से दबाते
हुए चन्दा को जो इशारा किया तो उसका मतलब समझते हुए मैं सनसना उठा।
तभी चाची मेरी उत्तेजना को ठण्डा करने के लिए मेरी पिचकारी पर बड़ी सफाई से
अपने हाथ की मस्ती को उड़ेलने लगी। चार पांच बार में ही पिचकारी बड़ी जोर से
थरथराती हुई रंग फेंकने लगी। मैं अपार आनन्द से सराबोर हो उठा।
चाची का आदेश आया। खड़े रहो, ठीक से छलकने दो।
चन्दा भी नासमझ थी, मेरे पुरुषत्व को छलकते हुए बड़े ही कौतूहल और उत्साह के
साथ देखती रही। पहली बरसात थी। वर्षा हो रही थी अब मेरा बदन हल्का हो गया था।
देखो ए चन्दा.....।
हाँ आण्टी।
अब कपड़ा उतारा जाये।
मेरी मस्ती की आग आंटी के कटेव का शिकारा थोड़ा ठण्डा हो गया। मिनटों में उसका
तनाव जाता रहा - मुझसे प्यार से आंटी ने पूछा अच्छा लग रहा है ना!
हां आंटी!!
जाओ पहले पेशाब करके आओ तब हम तुमको और चन्दा को जोड़ी खाकर मजा लेना
सिखायेगें। मैंने चन्दा की ओर देखा और हमारी आंखे मिलीं तो चन्दा मुस्कुरा कर
अपने सलवार के अंदर स्त्रीत्व को मस्ती में सहलायी।।
मैं उसी अवस्था में कमरे से बाहर पेशाब के लिए गया।
अब तो मुझे आंटी के पास से एक मिनट के लिए भी हटने का मन नहीं कर रहा था।
जब मैं पेशाब करके कमरे में वापस आया तो आंटी अपने सारे कपड़ों को उतार कर नंगी
थी और चन्दा स्मीज उतार कर सलवार के नाड़े को हाथ में लिये खड़ी थी।
आंटी के भरे-पूरे और मांसल नंगे बदन को देखते मेरा ठण्डापत्र जाता रहा। मेरी
आंखें आंटी की रानों की गुदाज गुलाबी औरत पर जा टिकी। तभी आंटी ने चन्दा को
संकेत किया।
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