श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से वयस्क किस्सेमस्तराम मस्त
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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से
अचानक आंटी को सामने देख राजू झेंपता सा खड़ा हो गया। "वोऽऽ मैंने कई बार
घंटी बजाई थी, आप खोलने तो नहीं आईं, पर मैंने देखा कि दरवाजा खुला था, मतलब
लैच नहीं लगा था। मैं अंदर आया तो यहाँ कोई नहीं था, बाथरूम से पानी के नल की
आवाज आ रही थी, इसलिए मैं रुक गया। फिर मन नहीं माना और मैं मारियो खेलने लगा।
सॉरीऽऽ।"
कामिनी की आँखों में हल्के गुस्से की झलक देखकर राजू शर्मिन्दा हो गया था।
कामिनी ने बिना मुस्कराये राजू से कहा, "कोई बात नहीं।" फिर आगे बोली, "ठीक है
तुम थोड़ी देर और खेलो, मैं अभी आती हूँ," और वह वापस बेडरूम की तरफ चलने लगी।
बेडरूम के दरवाजे से कुछ अंदर आने के बाद अकस्मात् वह रूकी और पलटकर राजू से
बोली "तुम मेरा एक काम कर सकते हो?" असमंजस में खड़े राजू ने तुरंत ही हाँ में
सिर हिलाया। कामिनी वापस बेड के ऊपर पड़ा पाउडर का डिब्बा उठाते हुए बोली,
"मेरी पीठ पर थोड़ा सा पाउडर लगा दो।"
राजू सहर्ष आगे बढ़ा। कामिनी ने पाउडर का डिब्बा उसे पकड़ा दिया और वह राजू से
विपरीत दिशा में घूम कर खड़ी हो गई। उसने अपनी पीठ का तौलिया बहुत ध्यान रखते
हुए ऐसे नीचे किया कि तौलिया उसके वक्षों पर बना रहे लेकिन कंधे से पीठ पर
थोड़ा नीचे खिसक जाये। राजू ने पाउडर के डिब्बे से थोड़ा पाउडर निकाल कर अपनी
हथेली पर डाला और उसे कामिनी की पीठ पर मलने लगा। लाल घमौरियों में पाउडर की
रगड़ लगते ही कामिनी सीत्कार कर उठी। उसकी आवाज सुनकर राजू रुक गया, तभी दर्पण
के तीन पाटों में से एक में बनते प्रतिबिम्ब पर राजू की नजर फिसल गई। कामिनी ने
अपनी ओर से बहुत सावधानी रखी थी, लेकिन उसका एक स्तन उसकी दृष्टि के सामने न
होकर विपरीत दिशा में था, लेकिन दर्पण में उसका प्रतिबिम्ब राजू को बिलकुल साफ
दिख रहा था। उसने झिझक कर वहाँ से अपनी दृष्टि हटा ली। पाउडर की एक तह लगते ही
कामिनी ने उससे कहा, "अब ठीक है। बहुत अच्छा, थैक्स!"
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