कहानी संग्रह >> अच्छे आदमी अच्छे आदमीफणीश्वरनाथ रेणु
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"फणीश्वरनाथ रेणु : ग्रामीण और सामाजिक यथार्थ की जीवंत धड़कन से हिन्दी साहित्य को नया आयाम देने वाले।"
रेणु ने अपने आत्म-कथ्य में चित्रगुप्त महाराज द्वारा निर्मित भाग्य-लेख के अंशों में अपना परिचय देते हुए कहा है कि यह आदमी ‘एक ही साथ सुर और असुर, सुन्दर और असुन्दर, पापी और विवेकी, दुरात्मा और सन्त, आदमी और साँप, जड़ और चेतन सब कुछ होगा।’ क्या यही परिचय अपने विविध और विस्तृत रूप मे उनकी समस्त रचनाओं में नहीं लहरा रहा है ?
जड़ीभूत सौन्दर्याभिरुचि को गतिशील और व्यापक फलक प्रदान करने वाली रेणु की कहानियों ने हिन्दी कथा-साहित्य को एक नयी दिशा दी है, सामाजिक परिवर्तन ही एकमात्र विकल्प है। यह दिशा ही रेणु की रचनाओं की एकमात्र सोच है। बड़े चुपके से कभी उनकी कहानियाँ किसानों और खेत मजदूरों के कान में कह देती हैं कि जमींदारी प्रथा अब नहीं रह सकती और जमीन जोतने वाले की ही होनी चाहिए। कभी मजदूरों को यह सन्देश देने लगती है कि तुम्हारी मुक्ति में ही असली सुराज का अर्थ छुपा है, भूल-भुलैया में पड़ने की जरूरत नहीं।
क्या कला, क्या भाषा, क्या अन्तर्वस्तु और विचारधारा, कोई भी कसौटी क्यों न हो, रेणु की कहानियाँ एकदम खरी उतरती हैं, लोगों का रुझान बदल देती हैं और यहीं रचनात्मक गतिविधि रेणु के साहित्य में उनके अप्रतिम योगदान को अक्षुण्ण बनाती हैं। ‘अच्छे आदमी’ में संग्रहीत विविध रंगों की ये कहानियाँ रेणु की इसी विशिष्ट रचना-यात्रा का अगला पड़ाव हैं।
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