कविता संग्रह >> मिलन यामिनी मिलन यामिनीहरिवंशराय बच्चन
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प्रेम, विरह और मिलन पर बच्चनजी की अत्यंत लोकप्रिय कविताएँ...
Milan Yamini - A Hindi Book by Harivansh Rai Bachchan
बच्चनजी संभवतः हिन्दी के सबसे अधिक लोकप्रिय कवि हैं। उनके कविता-संग्रहों के बीसियों संस्करण निकल चुके हैं, विशेषकर ‘मधुशाला’, ‘मधुबाला’ और ‘मधुकलश’ के। उनके अन्य काव्य-संकलन ‘निशा-निमंत्रण’, ‘जाल-समेटा’, ‘मिलन-यामिनी’ आदि भी कम लोकप्रिय नहीं है। सरल-सहज भाषा में हृदय में उठती विभिन्न भावनाओं को अभिव्यक्त करना उनकी विशेषता है और इसीलिए पिछले अस्सी वर्षों से उनकी कविताएँ लोगों की ज़ुबान पर चढ़ी हुई हैं।
बच्चनजी एक सफल गद्य-लेखक भी हैं और उनकी चार भागों में लिखी आत्मकथा हिन्दी साहित्य में मील के पत्थर का स्थान रखती है। इस सब के बावजूद बच्चनजी का नाम लोकप्रिय कविता का पर्याय बन चुका है।
‘‘मिलन यामिनी’ में 99 कविताएँ हैं। इन्हें मैंने 33-33 के तीन भागों में विभक्त कर दिया है। पहले और तीसरे भाग में मैंने एक खास तरह से साँचे में ढली कविताएँ रखी हैं। दूसरे भाग में कोई ऐसा प्रतिबंध स्वीकार नहीं किया गया। धर्मशाला के इस मनोरम स्थान में, जहाँ एक ओर तो हिमाच्छादित धवलीधार पर्वतमाला खड़ी है और दूसरी ओर अनेक पहाड़ों, नालों और झरनों से निनादित और अभिसिंचित काँगड़ा की उर्वरा घाटी फैली है जिसकी दक्षिणी सीमा पर व्यास नदी दूर दूध की रेखा के समान दिखाई देती है, मैं अपनी वाणी पर नियंत्रण न रख सका। यहीं मिलन यामिनी पूर्ण हुई है और यहीं मैंने उसके गीतों का क्रम आदि स्थापित किया।’’
बच्चनजी एक सफल गद्य-लेखक भी हैं और उनकी चार भागों में लिखी आत्मकथा हिन्दी साहित्य में मील के पत्थर का स्थान रखती है। इस सब के बावजूद बच्चनजी का नाम लोकप्रिय कविता का पर्याय बन चुका है।
‘‘मिलन यामिनी’ में 99 कविताएँ हैं। इन्हें मैंने 33-33 के तीन भागों में विभक्त कर दिया है। पहले और तीसरे भाग में मैंने एक खास तरह से साँचे में ढली कविताएँ रखी हैं। दूसरे भाग में कोई ऐसा प्रतिबंध स्वीकार नहीं किया गया। धर्मशाला के इस मनोरम स्थान में, जहाँ एक ओर तो हिमाच्छादित धवलीधार पर्वतमाला खड़ी है और दूसरी ओर अनेक पहाड़ों, नालों और झरनों से निनादित और अभिसिंचित काँगड़ा की उर्वरा घाटी फैली है जिसकी दक्षिणी सीमा पर व्यास नदी दूर दूध की रेखा के समान दिखाई देती है, मैं अपनी वाणी पर नियंत्रण न रख सका। यहीं मिलन यामिनी पूर्ण हुई है और यहीं मैंने उसके गीतों का क्रम आदि स्थापित किया।’’
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