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बीज

अमृत राय

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :403
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8353
आईएसबीएन :0

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बीज पुस्तक का किंडल संस्करण

Beej - A Hindi EBook By Amrit Rai



पुरूष और स्त्री दो इन्सानों की तरह आपस में मिल ही नहीं सकते। और अगर मिलें तो ज़रूर कुछ दाल में काला है ! सत्य को अगर कोई बतला देता तो कितना अच्छा होता– मगर कोई बतलाता भी कैसे, किसी के सामने सत्य अपने दिल को तो नंगा करने से रहा !– कि स्त्री और पुरुष होने के पहले भी दोनों आदमी है, इन्सान है, और दो इन्सानों के बीच अगर ऐसा प्यार का भाव आ जाय तो न तो वह अनुचित है और न उस पर दाँतों तलें उँगली देने की ज़रूरत है। बेशक मनुष्य के हृदय में अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग तरह का प्यार होता है, मगर मनुष्य का हृदय कोई मुनीम नहीं है जिसके यहाँ हर हिसाब के लिए अलग-अलग बहियाँ है और हर बही में अलग-अलग मदें बनी हुई है जिनमें रकमों को टाँका जाता है !


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