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जिनकी याद हमेशा हरी रहेगी

अमृत राय

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :130
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8490
आईएसबीएन :0

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जिनकी याद हमेशा हरी रहेगी पुस्तक का आई पैड संस्करण...

Jinki Yaad Hamesha Hari Rahegi - A Hindi Ebook By Amrit Rai

आई पैड संस्करण


वह तारीख़ आयी और निकल गयी और सुहैल भाई नहीं आये। मैंने समझ लिया कि लगता है इस बार फिर डौल नहीं जमा। ...और तब, शायद और भी दो-चार रोज़ बाद, जब कि मैं उनके आने की उम्मीद बिल्कुल ही छोड़ चुका था, वो एक रोज़ सबेरे आ पहुँचे मैं अपने कमरे में अपने दो-चार योगासन जो मैं अपने शरीर को ठीक रखने के लिए रोज़ करता हूँ, कर रहा था कि अचानक मेरे कान में एक आवाज़ पड़ी जिसे मैंने फौरन सुहैल भाई की आवाज़ के रूप में पहचाना और बाहर, बरामदे में, निकल आया—सुहैल भाई माली से मेरे बारे में पूछ रहे थे।
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