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कन्यापक्ष

विमल मित्र

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8505
आईएसबीएन :0

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कन्यापक्ष पुस्तक का किंडल संस्करण...

Kanyapaksha

किंडल संस्करण

सोना दीदी कहती थीःउर्वशी की तरह किसी नारी का चित्रण कर जो किसी की माँ नहीं, बेटी नहीं, पत्नी नहीं-लेकिन सब कुछ है। ‘विक्रमोर्वशीय’ पढ़ा है न ?
लगता था, सोना दीदी मानो अपने ही बारे में कह रही हों। लेकिन मैंने जिनको देखा था, वे सब तो साधारण लड़कियाँ थीं। मुझे बड़ा घमंड था कि मैंने अनेक विचित्र नारी-चरित्र देखे हैं। लेकिन सोना दीदी की बातों से लगा कि जो सचमुच उर्वशी को देख सका है, उसके लिए तो अन्य नारियाँ तुच्छ हैं।
बिमल बाबू ने अपने प्रारम्भिक जीवन में देखे ऐसे ही कुछ उर्वशी-चरित्रों का चित्रण ’कन्या पक्ष’ में किया है।

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