अतिरिक्त >> पति-पत्नी पति-पत्नीअमृत राय
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पति-पत्नी पुस्तक का आई पैड संस्करण
आई पैड संस्करण
यह मेरा पहला कहानी–संग्रह है। इसमें मेरी ३७, ३८, ३९ और ४० तक की कहानियाँ हैं। मैंने सन् ३५ में लिखना शुरू किया था–बालक में। ‘बालक’ तब श्री शिवपूजन सहाय के संपादकत्व में निकलता था। सन् ३६ में मेरी पहली कहानी ‘भारत’ में छपी थी। तभी से मैं नियमित रूप से वयस्क लोगों के लिए लिखने लगा। ये कहानियाँ और कुछ और भी जिन्हें मैंने संग्रह में देना ठीक न समझा, सरस्वती, चाँद, माधुरी, विश्वमित्र, हंस, कहानी, जीवनसखा, भारत, योगी, जनता, विचार, सचित्र भारत आदि पत्रों में छपीं। मगर आसानी से नहीं, काफी टक्करें, खाकर! पर अब मुझे लगता है कि यह मेरे हक़ में बहुत अच्छा हुआ। इसमें सन्देह नहीं कि उस वक़्त जब कोई कहानी कहीं से लौटकर आती तो मेरा पाव भर ख़ून जल जाता; मगर आज मुझमें इतनी अकल आ गयी है कि शुरू के दोनों की उन टक्करों को वरदान के रूप में लूँ। उन्हीं के कारण शायद मुझे इतनी ताक़त मिली कि आज भी क़लम घिसता जा रहा हूँ। इसलिए जहाँ मैं उन सम्पादकों का आभार स्वीकार करता हूँ जिन्होंने मेरी इन आरम्भिक रचनाओं को छापकर मेरा उत्साह बढ़ाया (जिसके बिना भी किसी का काम नहीं चलता), वहाँ मैं उन सम्पादकों का ऋण भी स्वीकार करता हूँ जिन्होंने मेरी रचनाएँ लौटाकर मुझे विकास के पथ पर आगे बढ़ाया। मैं जानता नहीं, लेकिन मेरा अनुमान है कि जिस पौधे को उगने के लिए कड़ी धरती नहीं फोड़नी पड़ती, उसकी जड़ मजबूत नहीं होती। इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।
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