यात्रा वृत्तांत >> पतझर के पाँव की मेंहदी पतझर के पाँव की मेंहदीउदयन वाजपेयी
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पतझर के पाँव की मेंहदी हिंदी के प्रतिष्ठित रचनाकार उदयन वाजपेयी के यात्रा-वृत्तांत और वैचारिक निबंधों के सकंलन है।
उदयन वाजपेयी का शुमार उन गिने-चुने परम्परान्वेषी विचलनशील लेखकों में किया जा सकता है जिन्हें किसी भी रूप या विधा में पढ़ने का आनंद दुर्लभ और निराला होता है क्योंकि वे किसी एक रूप या विधा या विचलन के बंदी नहीं होते। ग़ालिब से प्रेरित शीर्षक वाली इस तरोताजा पुस्तक, पतझर के पाँव की मेंहदी, में भी उदयन वैसे ही गाते, झूमते, नाचते, शब्द-शिल्प-चित्र रचते और सोचते-विचारते नज़र आते हैं जैसे इससे पहले की अन्य पुस्तकों में, लेकिन इस पुस्तक की आभा का ग़ज़ब कुछ और ज़्यादा है, इसमें संकलित निबंधों और यात्राख्यानों का जादू कुछ और होशरुबा है। मुझे यकीन है कि इसे ख़ूब पढ़ा जाएगा।
कृष्ण बलदेव वैद
पतझर के पाँव की मेंहदी हिंदी के प्रतिष्ठित रचनाकार उदयन वाजपेयी के यात्रा-वृत्तांत और वैचारिक निबंधों के सकंलन है। देश-विदेश घूमने और अध्ययन-मनन करने वाले उदयन जी की यह किताब अलग-अलग समय में लिखी गई उनकी रचनाओं में से एक चयन है, जिसमें सबसे पुरानी रचना सन्ना से ये नज़दीकियां और सबसे नई हमारी भाषाओं की निरंतरता है। इस संकलन के निबंध कला, साहित्य, भाषा आदि में प्रवाहित भारतीय परंपरा की अंतश्चोतना को समझने का एक प्रयास है। इसमें तीन यात्रा-वृत्तांत और बाकी निबंध हैं। यह पुस्तक अकादमिक और ग़ैर अकादमिक दोनों क्षेत्रों के पाठकों को विचार के लिए समान रूप से आमंत्रित करती हैं।
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