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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



21

जो याद आई तो आँखें भिगो गये रिश्ते


जो याद आई तो आँखें भिगो गये रिश्ते।
शहर की भीड़ में बच्चों से खो गये रिश्ते।।

सुलग रहा है हर इक घर झुलस रहा आँगन,
दिलों में ऐसी कोई आग बो गये रिश्ते।

मेरा ख़याल था महकेंगे ताज़गी देंगे,
मगर ख़याल में काँटे चुभो गये रिश्ते।

हर एक रात शिकायत कभी बहस करके,
लिपट के मुझसे मेरे साथ सो गये रिश्ते।

मेरे ख़तों को जलाकर सिसक उठा वो भी,
ज़रा सी देर में लो ख़ाक हो गये रिश्ते।

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