लोगों की राय

गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

173 पाठक हैं

मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



22

जैसे भटकाये हिरन को रेगज़ारों का तिलिस्म


जैसे भटकाये हिरन को रेगज़ारों का तिलिस्म।
प्यास को भटका रहा है आबशारों का तिलिस्म।।

कौन सुख देगा न जाने कौन दुख दे जायेगा,
हम समझ पाये न क़िस्मत के सितारों का तिलिस्म।

उससे बिछुड़े हो गया अर्सा न टूटा आज तक,
सिलसिला चाहत का, उसकी यादगारों का तिलिस्म।

प्यास, गागर, कश्तियाँ रुकती हैं साहिल पर मगर,
कब नदी को रोक पाया है किनारों का तिलिस्म।

भीगने के बाद भी जलता रहा कोई बदन,
जाने कैसा था वो सावन की फुहारों का तिलिस्म।

रुठ कर जैसे अचानक खिलखिला उठ्ठे कोई,
यूँ खि़ज़ाँ के बाद खुलता है बहारों का तिलिस्म।

देख कर दुनिया को बस इतना समझ पाया हूँ मैं,
ये निगाहों का है धोखा या नजा़रों का तिलिस्म।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book