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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



25

अक्स से ख़ौफ़ खाने लगे आईने


अक्स से ख़ौफ़ खाने लगे आईने।
अब तो चेहरा छुपाने लगे आईने।।

आदमी की तरह हो गये आजकल,
झूठ को सच बताने लगे आईने।

जब भी देखा तो उभरीं वही सूरतें,
हमको हरदम पुराने लगे आईने।

नींद आने लगी पत्थरों पर मुझे,
मेरे ख्व़ाबों में आने लगे आईने।

कोई देखे न देखे तो हम क्या करें,
हर जगह हर ठिकाने लगे आईने।

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