गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
|
173 पाठक हैं |
मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
87
बहुत अच्छा बहाना है
बहुत अच्छा बहाना है।
मगर काफ़ी पुराना है।।
मुकर जाना सिफ़त उनकी,
हमें वादा निभाना है।
कहाँ कब रुख़ बदल बैठे,
हवा का क्या ठिकाना है।
निशानेबाज़ है माहिर,
निशाने पर निशाना है।
हमारे तो तुम्हीं तुम हो,
तुम्हारा तो ज़माना है।
हमारा दिल कहाँ अपना,
तुम्हारा अशियाना है।
उसे कहिए न दीवाना,
अजी बहलोल दाना है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book