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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह


7

इससे बढ़ के दुनिया में बेबसी नहीं होती


इससे बढ़ के दुनिया में बेबसी नहीं होती,
जब ख़ुशी के मिलने पर भी ख़ुशी नहीं होती।

इक निगाह मिलते ही ‘प्यार’ हो तो सकता है,
दिल मिले बिना लेकिन ‘दोस्ती’ नहीं होती।

लोग बारहा ख़ुद को रोज़ क़त्ल करते हैं,
यार क्या करें हम से ख़ुदकशी नहीं होती।

बाहरी उजालों से सूरतें चमकती हैं,
दिल में इन चराग़ों से रौशनी नहीं होती।

सुन सको तो आँखों में लफ़्ज़ गुनगुनाते हैं,
ख़ामुशी ज़बानों की ख़ामुशी नहीं होती।

तश्नगी भटकती है ज़िन्दगी के सहरा में,
जो दिखाई देती है वो नदी नहीं होती।

ख्व़ाहिशों के जंगल में दूर तक नहीं जाना,
ख्व़ाहिशों के जंगल से वापसी नहीं होती।

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