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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



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चाँद का चेहरा चूम के चमका एक सितारा शाम ढले


चाँद का चेहरा चूम के चमका एक सितारा शाम ढले।
पारा-पारा दिल ने तेरा नाम पुकारा शाम ढले।।

चन्दा मामा, बुढ़िया, चरखा, सबको क्या-क्या दिखता है,
हमको लगता चाँद का चेहरा रुप तुम्हारा शाम ढले।

दुनिया ने मुँह फेर लिया तो इसमें शिकवा काहे का,
छोड़ दिया परछांई ने जब साथ हमारा शाम ढले।

कोई ख़ुश्बू आकर जाने क्या जादू कर जाती है,
झील सी आँखें हो जाती हैं सागर खारा शाम ढले।

रोज़ परिन्दे वापस उनकी बाँहों में आ जाते हैं,
पेड़ की शाख़ें जब करती हैं उनको इशारा शाम ढले।

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