लोगों की राय

गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

173 पाठक हैं

मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



93

आदमी को आदमी से डर भला क्योंकर लगा


आदमी को आदमी से डर भला क्योंकर लगा।
तब ये जाना जब हमारी पीठ पर ख़ंजर लगा।।

आस्तीनी साँप से मुमकिन था बच जाते मगर,
हर गली इक आस्तीं, हर आदमी विषधर लगा।

जिस्म बेचा, रूह बेची, ख़्वाब तक बेचे कभी,
भूख के बाज़ार में हर शख़्स पेशेवर लगा।

वाह रे इंसाफ़ उनका वाह रे उनका निज़ाम,
जुर्म किसका था मगर इल्ज़ाम किसके सर लगा।

मैं सफ़र में शाम को ठहरा जहाँ पर भी वहीं,
लोग अपने से लगे वो गाँव अपना घर लगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book