गीता प्रेस, गोरखपुर >> भक्त बालक भक्त बालकहनुमानप्रसाद पोद्दार
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भगवान् की महिमा का वर्णन...
सन्ध्याका समय है। चन्द्रहास स्वाभाविक ही नाम-कीर्तन करता हुआ नगरकी सड़कोंपर घूम रहा है, मधुरध्वनि सुनकर और भी बहुत-से बालक उसके साथ हो गये हैं। सभी आनन्दसे नाचनाचकर मधुर कीर्तन करते हुए नगरवासी नर-नारियोंका चित्त अपनी ओर खींच रहे हैं। घूमते-घूमते यह प्रेममत्त बाल-कीर्तनदल धृष्टबुद्धिके प्रासादके निकट जा पहुँचा। मन्त्री-पुत्र मदनके यहाँ ऋषिमण्डली एकत्र हो रही है। हरि-चर्चा चल रही है। मीठी हरि-ध्वनि सुनकर ऋषियोंकी आज्ञासे मदनने चन्द्रहासको अंदर बुला लिया। चन्द्रहासके साथ मिलकर बालक नाचने-गाने लगे। मुनिमण्डली मुग्ध हो गयी। इतनेमें वहाँ धृष्टबुद्धि भी आ गया। मुनियोंका मन चन्द्रहासके तेजपूर्ण मुखमण्डलकी विमल शीतल छटा देखकर उसकी ओर आकर्षित हो गया। उन्होंने उसे अपने पास बुलाकर बैठा लिया। उसके शरीरके लक्षणोंको देख-सुन और योगसे उसकी प्रतिभाका पता लगाकर ऋषि एक स्वरसे कहने लगे-
सुन्दर लक्षण-युक्त बाल यह है तपधारी, मन्त्रीवर।
रक्खो, पालन करो इसे अति स्नेह भावसे अपने घर॥
सभी तुम्हारी धन-सम्पतिका यही पूर्ण स्वामी होगा।
होगा नृपति देशका, वैष्णव-पदका अनुगामी होगा॥
ऋषियोंके यह वचन अभिमानी धृष्टबुद्धिके हृदयमें तीर-से लगे। अज्ञात-कुल-गोत्र अनाथ बालक मेरी सम्पत्तिका स्वामी होगा! कहाँ मेरा पदगौरव, धन-ऐश्वर्य, दोर्दण्ड-प्रबल-प्रताप और कहाँ यह राहका भिखारी छोकरा? तत्काल अभिमान द्वेषके रूपमें परिणत हो गया। धृष्टबुद्धिके मनमें भीषण हिंसावृत्ति जाग उठी। उसने अपना कर्तव्य निश्चय कर लिया। ऋषि और पुत्रोंसे कुछ न बतलाकर धृष्टबुद्धि बालकोंको मिठाई देनेके बहाने अन्तःपुरमें ले गया। वहाँ और सब बालक तो मिठाई देकर बाहर निकाल दिये गये, रह गया एक चन्द्रहास। थोड़ी ही देरमें मन्त्रीके संकेतसे एक विश्वासी घातक वहाँ आ पहुँचा। धृष्टबुद्धिने धीरेसे उसके कानमें कुछ कहकर चन्द्रहासका हाथ उसे पकड़ा दिया। घातक चन्द्रहासको ले चला, तब उसने फिर कहा, “देखो, आज ही काम बन जाय, कोई निशान जरूर लाना, पूरा इनाम मिलेगा।' घातक बालकको लेकर अदृश्य हो गया।
भीषण सुनसान जंगल है। चारों ओर अँधेरा छा रहा है। घातक म्यानसे तलवार निकाली। चन्द्रहास समझ गया कि यह मुझे मारना चाहता है। उसने निर्भयतासे कहा, “भाई! तनिक ठहर जाओ, मुझे अपने भगवान्की पूजा कर लेने दो, फिर खुशीसे मारना।' घातकका हृदय कुछ पिघला, ‘उसने अनुमति दे दी!'
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