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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद
अब फिर मकान के प्रतीक पर विचार करेंगे। जब हम अपने स्वप्नों में मकानों के
छज्जों को पकड़ते हैं, तब क्या हमारे मन में विशेष रूप से उभरी हुई छातियों
वाली स्त्री के सम्बन्ध में जर्मन भाषा की यह प्रसिद्ध और प्रचलित कहावत नहीं
आती-'उसके पास किसी के पकड़ रखने योग्य चीज़ है (Die hat etwas zum
Anhalten)।' इसी तरह का एक और बोलचाल का प्रयोग है-'उसके मकान के सामने
बहुत-सी लकड़ी है (Die hat viel Holz vor dem Hause)।' मानो इस तरह जब हम यह
कहते हैं कि लकड़ी स्त्री का मातृरूप प्रतीक है, तब इससे हमारे निर्वचन की
पुष्टि हो जाती है।
लकड़ी के विषय पर अभी कुछ और कहना पड़ेगा। आसानी से समझ में नहीं आता कि
लकड़ी स्त्री और माता का प्रतीक क्यों है पर इसमें विभिन्न भाषाओं की तुलना
हमारे लिए उपयोगी हो सकती है। जर्मन शब्द Holz (लकड़ी) उसी धातु से निकला हुआ
बताया जाता है कि जिससे ग्रीक Uhn, जिसका अर्थ है सामग्री या कच्चा सामान। यह
उस प्रकार का उदाहरण है जिसमें एक सामान्य नाम अन्त में एक विशेष वस्तु का
वाचक हो जाता है, और यह प्रक्रम बहुत जगह दिखाई देता है। एटलांटिक महासागर
में मैडीरा नामक एक द्वीप है, और यह नाम इसे तब दिया गया था जब पुर्तगालियों
ने इसे ढूंढ़ा था, क्योंकि उस समय इसमें घने जंगल थे और पुर्तगाली भाषा में
जंगल या लकड़ी के लिए 'मैडीरा' शब्द है। पर आप देखेंगे कि यह मैडीरा शब्द
लैटिन के 'मैटीरिया' शब्द का ही रूपान्तर है, और 'मैटीरिया' शब्द सामान्य रूप
से वस्तु का वाचक है पर मैटीरिया शब्द 'मैटर' (माता) शब्द से निकला है, और
जिस सामान में से कोई चीज बनती है उसे उस चीज का जन्मदाता माना जा सकता है।
इस प्रकार स्त्री या माता के प्रतीक के रूप में लकड़ी या जंगल का प्रयोग इस
पुराने विचार का अवशेष भी है।
जन्म सदा पानी से कुछ सम्बन्ध रखता हुआ दिखाई देता है। या तो हम पानी में
गोता लगा रहे हैं, या उससे निकल रहे हैं, अर्थात् हम जन्म लेते हैं, या पैदा
होते हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि विकास2 के वास्तविक तथ्यों की ओर यह प्रतीक
दो निर्देश करता है। धरती पर रहने वाले सब स्तन्यपायी3 जिनसे मनुष्य वंश पैदा
हुआ है, उन प्राणियों के वंशज हैं जो पानी में रहते थे-यह दोनों में से दूर
वाला संकेत है-पर प्रत्येक स्तन्यपायी व्यक्ति अर्थात् प्रत्येक मनुष्य भी
पानी में रहने की पहली अवस्था में से गुज़रा है, अर्थात् वह भ्रूण1 के रूप
में माता के गर्भ के एमनियोटिक तरल में रहा है और इस प्रकार जन्म के समय पानी
से निकला है। मैं यह नहीं कहता कि स्वप्नद्रष्टा यह बात जानता है; इसके
विपरीत, मेरा यह कहना है कि उसे यह जानने की कोई आवश्यकता ही नहीं। शायद वह
बचपन से सुनता हुआ कुछ और बात जानता है, पर मैं यह कहता हूं कि इससे भी
प्रतीक बनने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। बच्चे को छुटपन में कहा जाता है, सारस
पक्षी बच्चे दे जाते हैं। पर फिर उन्हें बच्चे मिलते कहां से है? किसी तालाब
या कुएं में से, अथांत पानी से। मेरा एक रोगी, जिसे बचपन में जब वह बहुत छोटा
ही था यह बात बताई गई थी. एक दिन तीसरे पहर कहीं गायब हो गया और अन्त में एक
झील के किनारे लेटा हआ मिला। उसने अपना छोटा-सा मह निर्मल जल की ओर कर रखा था
और वह उत्सुकतापूर्वक ताक रहा था कि झील के तले में वह बच्चों को देख सकेगा।
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1. रूसी भाषा में 'छोटा पिता, (देखिए कालिदास-स पिता पितरस्तासां केवल जन्म
हेतवः-अनुवादक)
2. Evolution
3. Mammal
वीर पुरुषों के जन्मों की पौराणिक कहानियों में, जिनका ओ० रैक ने तुलनात्मक
अध्ययन किया है-इनमें सबसे प्राचीन, लगभग ईस्वी पूर्व अट्ठाईस सौ का अक्कड़
का राजा सारगोन है-पानी में पड़े होने और उसमें से बचाए जाने का उल्लेख
प्रमुख होता है। रैंक ने देखा कि यह उसी प्रकार जन्म का प्रतीक है जैसे
स्वप्नों में होता है। स्वप्न में कोई आदमी किसी को पानी में से बचाता है। तब
वह उस व्यक्ति को अपनी माता बना लेता है या कम-से-कम एक माता तो बना ही लेता
है; और पुराणकथाओं में जो कोई किसी बच्चे को पानी में से बचाती है, वह स्वयं
को उसकी सगी माता बताती है। एक प्रसिद्ध मज़ाक है। जिसमें एक तीव्रबुद्धि
यहूदी लड़का, यह पूछने पर कि मूसा की माता कौन थी, तुरन्त उत्तर देता है,
'राजकुमारी।' हम उससे कहते हैं, 'नहीं, उसने तो उसे सिर्फ पानी में से निकाला
था।' 'यह तो वह कहती थी!' वह उत्तर देता है, और इस तरह प्रकट करता है कि उसने
पौराणिक कथा का सही अर्थ समझ लिया है।
यात्रा पर जाना स्वप्नों में मरने का प्रतीक होता है; इसी प्रकार जब कोई बालक
किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में पूछता है जो मर गया है और जिसका अभाव उसे अनुभव
हो रहा है, तब उससे कह दिया जाता है कि 'वह परदेस गया है। यहां भी मैं इस
विचार को नापसन्द करता हूं कि इस स्वप्न-प्रतीक का मूल बच्चे को दिए गए टालू
जवाब में है। कवि जब परलोक के लिए यह कहता है कि 'वह अज्ञात देश जहां से कोई
पथिक वापस नहीं लौटता' तब वह इसी प्रतीक का प्रयोग करता है। इसी तरह रोज़ की
बातचीत में हम 'अन्तिम यात्रा' (महाप्रयाण या गंगायात्रा) शब्दों का प्रयोग
करते हैं, और प्राचीन कर्मकाण्ड से परिचित लोग अच्छी तरह जानते हैं कि मृतों
के देश में यात्रा का विचार, उदाहरण के लिए, प्राचीन मिस्रवासियों में कितनी
गम्भीरता से माना जाता था। बहुत जगह 'मृत का लेखा' (Book of the Dead) देने
की पद्धति अब भी कायम है-यह लेखा ममी अर्थात् संरक्षित शव को अपनी अन्तिम
यात्रा पर ले जाने के लिए दे दिया जाता था। कब्रिस्तान बस्ती से दूर होते
हैं, इसीलिए मृत व्यक्ति की अन्तिम यात्रा एक वास्तविकता बन गई है।
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1. Embry
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