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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद
अब मैं प्रतीकों से सूचित वस्तुओं के बजाय स्वयं प्रतीकों से शुरू करके
संक्षेप में यह बताऊंगा कि मैथुन-सम्बन्धी प्रतीक अधिकतर किन क्षेत्रों में
आए हैं, और विशेष रूप से उन पर थोड़ी-सी टिप्पणी करूंगा जिनमें प्रतीक से
सूचित वस्तु का गण प्रतीक में खोज पाना कठिन है। इस तरह के अस्पष्ट प्रतीक का
एक उदाहरण टोप या शायद सिर ढकने की सभी चीजें हैं; टोप आमतौर से पुल्लिंग का
सूचक है पर कभी-कभी स्त्रीलिंग को भी सूचित करता है। इसी प्रकार चोगा पुरुष
को सूचित करता है, पर शायद कभी-कभी उसका जननेन्द्रियों की ओर विशेष निर्देश
नहीं होता; आप पूछेगे कि ऐसा क्यों होता है? टाई जो नीचे लटकने वाली वस्तु है
और जिसे स्त्रियां नहीं धारण करतीं, स्पष्टतः पुल्लिंग प्रतीक है, और
अंडरलिनन या सामान्य रूप में लिनन, अर्थात् रेशमी वस्त्र, स्त्रीलिंग का
प्रतीक होता है। कपड़े और वर्दियां, जैसा कि हम देख चुके हैं, नंगेपन या
मनुष्य की आकृति की प्रतीक होती हैं; जूते और स्लीपर स्त्री-जननेन्द्रियों के
प्रतीक होते हैं। हम कह चुके हैं कि मेज़ और लकड़ी कुछ उलझनदार चीजें हैं, पर
फिर भी वे निश्चित रूप से स्त्रीलिंग की प्रतीक हैं। नसैनियों, सीधे खड़े
स्थानों और सीढ़ियों पर चढ़ने का कार्य असंदिग्ध रूप से मैथुन का प्रतीक है।
बारीकी से विचार करने पर हमें यह पता चलता है कि इस चढ़ने की तालबद्धता
अर्थात् नियमित उतार-चढ़ाव का गुण और शायद इसके साथ होने वाली
उत्तेजना-वृद्धि-चढ़ते-चढ़ते चढ़ने वाले का सांस जल्दी-जल्दी लेने लगना,
दोनों में सामान्य विशेषता है।
हम पहले यह देख चुके हैं कि प्राकृतिक दृश्य स्त्री-जननेन्द्रिय के सूचक हैं;
पर्वत और चट्टानें पुरुषेन्द्रिय की प्रतीक हैं; बाग स्त्री-जननेन्द्रिय का
बहुत बार दीखने वाला प्रतीक है; फल स्तनों का प्रतीक है, बच्चे का नहीं।
जंगली पशु मनुष्य की उत्तेजित अवस्था, और इसलिए दुष्ट आवेगों या प्रबल वासना
के आवेशों के प्रतीक हैं। कलियां और फूल स्त्री जननेन्द्रिय के प्रतीक हैं,
विशेष रूप में कुमारावस्था में। इस सिलसिले में आपको स्मरण होगा कि कलियां
वास्तव में वनस्पतियों की जननेन्द्रिय ही हैं।
हम यह देख चुके हैं कि कमरों का प्रतीकों के रूप में कैसे उपयोग होता है। इन
प्रतीकों का क्षेत्र विस्तृत हो सकता है जिसमें खिड़कियां और दरवाजे (कमरों
में घुसने और उनसे निकलने के रास्ते) शरीर के द्वारों को सूचित करते हैं;
कमरों के खुला या बन्द होने का तथ्य भी इस प्रतीक से मेल खाता है; चाबी,
जिससे वे खोले जाते हैं, निश्चित ही पुल्लिंग प्रतीक हैं।
इस थोड़ी-सी सामग्री से स्वप्न-प्रतीकात्मकता का कुछ अध्ययन किया जा सकता है।
पर यह सामग्री इतनी ही नहीं है, तथा इसे विस्तृत भी किया जा सकता है और गहरा
भी; पर मैं समझता हूं कि यह आपको काफी से ज़्यादा मालूम होगी। शायद आप इसे
नापसन्द करें। आप पूछेगे, 'तो क्या मैं सचमुच मैथुन-सम्बन्धी प्रतीकों के बीच
में ही रहता हूं? क्या मेरे चारों ओर की वस्तुएं, मेरे पहनने के कपड़े, मेरे
पकड़ने की सब चीजें, सदा मैथुन-सम्बन्धी प्रतीक ही हैं, और कुछ भी नहीं?'
सचमुच ये आश्चर्यमय प्रश्न करना युक्तिसंगत है और इनमें से पहला प्रश्न यह
होगाः इन स्वप्न-प्रतीकों के अर्थ पर पहुंचने का दावा हम कैसे करते हैं जबकि
स्वप्न देखने वाला स्वयं हमें इस बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दे सकता।
मेरा उत्तर यह है कि हम भिन्न-भिन्न स्रोतों से यह ज्ञान प्राप्त करते हैं।
परियों की कहानियों और पुराणकथाओं से, मज़ाकों और विनोद के चुटकलों से,
लोककथाओं से, अर्थात् ऐसी हर चीज़ से, जिससे हमें विभिन्न जातियों के
रीति-रिवाजों, कहावतों और गीतों का पता चलता है, और भाषा के काव्यमय तथा
ग्राम्य बोलचाल के प्रयोग से हम यह ज्ञान प्राप्त करते हैं। इन विभिन्न
क्षेत्रों में सब जगह एक ही प्रतीकात्मकता मिलती है, और उनमें से बहुतों में
इसके बारे में बिना कुछ सिखाए हम इसे समझ सकते हैं। यदि इन विभिन्न क्षेत्रों
पर हम अलग-अलग विचार करें तो हमें स्वप्न-प्रतीकात्मकता के इतने सारे
मिलते-जुलते रूप दिखाई देंगे कि हमको इन निर्वचनों के सही होने का विश्वास
करना ही पड़ेगा।
हमने बताया है कि शरनर के अनुसार मनुष्य का शरीर स्वप्न में बहुत बार मकान से
सूचित होता है। इस प्रतीकात्मकता को और बढ़ाने पर खिड़कियां, दरवाजे और
किवाड़ शरीर के द्वारों में प्रवेश-स्थान को सूचित करते हैं और मकान का सामना
या तो चिकना होता है और या उस पर पकड़ने के लिए छज्जे, और झंझरियां होती हैं।
यही प्रतीकात्मकता बोलचाल के प्रयोग में मिलती है। उदहारण के लिए, हम कहते
हैं बालों पर 'छप्पर' या 'टाइलहैट' या किसी के बारे में हम कहते हैं कि उसकी
'ऊपर की मंज़िल'1 ठीक नहीं। शरीर में भी हम शरीर के छिद्रों को इसके
‘पोर्टल'2 या द्वार कहते हैं।
शुरू में हमें यह बात आश्चर्यजनक लगेगी कि स्वप्नों में हमें अपने माता-पिता
राजा-रानियों के रूप में दिखाई देते हैं, पर इसी तरह की चीजें परियों की
कहानियों में होती हैं। क्या हमें यह नहीं लगने लगता कि बहुत-सी परियों की
कहानियों का, जो 'एक था राजा, एक थी रानी' से शुरू होती हैं, अर्थ सिर्फ यह
होता है कि एक बार एक पिता था और एक माता थी। परिवार में बच्चों की हंसी में
कभी-कभी राजा बेटा कहा जाता है, और सबसे बड़े पुत्र को युवराज कहा जाता है।
स्वयं राजा जनता का पिता कहलाता है।1 फिर कुछ स्थानों में छोटे बच्चे प्रायः
खेल में छोटे जानवर कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, कार्नवाल में 'छोटा मेंढक',
या जर्मनी में 'छोटा कीड़ा', और बच्चे से सहानुभूति दिखाते हुए कहते हैं,
'विचारा छोटा कीड़ा'। (हिन्दीभाषी प्रदेश में बच्चे को 'बन्दर', बच्ची को
'चिड़िया' और सामान्यतया बच्चे को 'चूहा' या 'चूहिया' कहते हैं।)
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1. जर्मन भाषा में पुराने परिचित को प्रायः 'पुराना मकान' (Altes Haus) कहकर
पुकारा जाता है; 'उसे छत पर एक दे दो' (Einem eins aufs Dachi geben) का अर्थ
है 'उसके सिर पर मारो'।
2. पोर्टल शिरा आंतों से पोषण, जिगर के रास्ते, शरीर को पहुंचाती है। पाईलेख
[जो vAn (पाइल) द्वार से बना है] छोटी आंत का प्रवेश द्वार होता है। जर्मन
भाषा में शरीर के छिद्र Leibespforten (शरीर के द्वार) कहलाते हैं।
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