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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद
हमारी सबसे आश्चर्यजनक खोज यह है कि स्वप्नतन्त्र गुप्त स्वप्न में विरोधी
बातों से किस तरह निपटता है। हम पहले ही देख चुके हैं कि गुप्त वस्तु में जिन
प्रश्नों पर एक ही मत होता है उनके स्थान पर व्यक्त स्वप्न में संघनन या
संक्षेप हो जाता है। विरोधी विचारों का भी वही हाल होता है जो समान विचारों
का, पर उन्हें उसी व्यक्त अवयव के द्वारा प्रकट करने का यत्न किया जाता है।
व्यक्त स्वप्न के जिस अवयव का कोई विरोधी रूप हो सकता है, वह या तो सिर्फ
अपना या अपने विरोधी का, और या इकट्ठे दोनों का प्रतीक हो सकता है; तात्पर्य
से ही यह निश्चय करना होगा कि कौन-सा अनुवाद किया जाए। इसीलिए स्वप्नों में
'नहीं' का निरूपण नहीं होता या स्पष्ट अर्थ वाली 'नहीं' नहीं होती।
स्वप्नतन्त्र की इस विचित्रता का एक मनोरंजक सादृश्य भाषा के परिवर्धन में
प्राप्त होता है। बहुत-से भाषाशास्त्रियों ने यह माना है कि सबसे पुरानी
भाषाओं में विपरीतार्थक शब्द जैसे मज़बूत-कमजोर; प्रकाश-अन्धकार; बड़ा-छोटा
आदि, एक ही धातु से उत्पन्न शब्द से प्रकट किए जाते थे (आदिम शब्दों के
परस्पर विरोधी अथ)। इस प्रकार प्राचीन मिस्री भाषा में 'केन' शब्द शुरू में
मजबूत और कमज़ोर दोनों के लिए था। बोलचाल में, ऐसे उभयक1 (अर्थात् उभयार्थक)
शब्दों के अर्थ में गलतफहमी से बचने के लिए उनका अर्थभेद काकु या लहजे, और
उसके साथ होने वाली चेष्टाओं से स्पष्ट किया जाता था। लिखने में ऐसे शब्दों
के साथ एक और 'निश्चायक' जोड़ दिया जाता था, जो बोलचाल में प्रयोग के लिए
नहीं होता था। इस प्रकार, 'केन' शब्द जब मज़बूत के अर्थ में लिखा जाता था तब
इसके बाद एक सीधे खड़े हुए छोटे आदमी का चित्र बना दिया जाता था, और जब 'केन'
शब्द का प्रयोग कमज़ोर के अर्थ में होता था तब इसके बाद एक कमज़ोर ढीले-ढाले
आदमी की तस्वीर बना दी जाती थी। एक ही आदिम शब्द के दो विरोधी अर्थों का बहुत
समय बाद, मूल में थोड़ा हेर-फेर करके, दो भिन्न रूपों में अंकन शुरू हआ। इस
प्रकार ‘मज़बूत-कमज़ोर' वाचक 'केन' शब्द से दो शब्द निकले। केन-मज़बूत, और
कान कमज़ोर। इस तरह दो विरोधी अर्थ रखने वाले शब्दों के बहुत-से अवशेष
प्राचीनतम भाषाओं में ही नहीं मिलते, जो अब अपने परिवर्धन की अन्तिम मंज़िलों
में हैं, बल्कि यही बात नई भाषाओं में भी है, जो आज भी जीवित हैं। इसके कुछ
दृष्टान्त मैं सी० एबल की पुस्तक (1884) से उद्धृत करता हूं।
लैटिन में ऐसे उभयक शब्द ये हैं :
एटलस-ऊंचा या गहरा; सेकर पवित्र या अभिशप्त
मूलधातु के रूप-भेदों के उदाहरण ये हैं :
क्लेमेअर-चिल्लाना; क्लैम-शान्ति से, चुपचाप, गुप्त रूप से
सिकस-सूखा; सकस-रस; और जर्मन में स्टिम वाणी; स्टम-गूंगा
सम्बन्धित भाषाओं की तुलना से ऐसे बहुत-से उदाहरण मिल जाते हैं :
अंग्रेजी : लौक-बन्द करना; जर्मन : लौक-छिद्र, लक-खाली स्थान
अंग्रेज़ी : क्लीव1, जर्मन : क्लेबेन-चिपकना
अंग्रेज़ी के 'विदआउट' शब्द में पहले 'साथ' और 'बिना' ये दोनों अर्थ थे, पर
आज यह 'बिना' के अर्थ में ही प्रयोग होता है, पर यह बात स्पष्ट है कि 'विद'
में जोड़ने के अर्थ के अलावा वंचित करने का अर्थ भी है, जैसे विदड्रा,
विदहोल्ड (देखिए जर्मन वीडर)।
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1. Ambivalent
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