उपासना एवं आरती >> मंत्र वातायन मंत्र वातायनपद्मा राठी
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जीवनोपयोगी मंत्रों का उत्तम संग्रह
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हमारे द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करता है और कार्य में छुपा होता है हमारा विचार। अगर सत्कर्म कर रहे हैं तो स्वाभाविक है कि अन्तर्मन में सद्विचार चालू हैं। इसी सद्विचार को प्रार्थना कहते हैं। अपने आराध्य पर विश्वास के साथ गई स्वीकारोक्ति ही प्रार्थना है। प्रार्थना तो अन्तर्निहित भाव है। वह तो हमारे अन्तः में ही रहती है। हमें करने की ऐवश्यकता नहीं होती। वह तो स्वयं ही घटित होने लगती है। सकारात्मक विचार इसे पोषण देते रहते हं। दृढ़ विश्वास रहित प्रार्थना शब्दाडंबर है, दिखावा, छलावा मात्र ही हो सकती है। प्रार्थना के द्वारा हम एक भाव को साकार रूप देते हैं।
1. श्री सच्चायै माताये नमः
2. उद्बोधन
3. एक अच्छा प्रयाप्त
4. गुरु
5. अथ मंत्रार्णव
6. नवार्णव मंत्र
7. दस महा-विद्याओं के ध्यान मंत्र
8. माताजी के दिव्य मंत्र
9. अष्ट महासिद्धियाँ
10. नवनिधियाँ
11. मंत्र विवेचन
12. मंत्रबिन्यास
13. बीज प्रबंध
14. बीज मंत्र
15. राशि के अन्तर्गत मंत्र
16. पौराणिक नवग्रह मंत्र
17. मंत्र भेद एवं प्रकार
18. सोहम् साधना
19. मृत्युज़य मंज
20. ब्रह्म
21. एकाक्षरी मंत्र
22. रामचरित मानस के सिद्ध मंत्र
23. हनुमानजी के बिभिन्न मंत्र
24. शनिकारकत्व च साढ़े सती
25. कन्या विवाह-बाधा निवारण
26. भगवन्नाम स्मरण से रोग निवारण
27. द्वादश नाम स्मरण
28. संकटनाशक विष्णु स्तोत्र
29. सुखमय जीवन के सात उपाय
अनुक्रमणिका
1. श्री सच्चायै माताये नमः
2. उद्बोधन
3. एक अच्छा प्रयाप्त
4. गुरु
5. अथ मंत्रार्णव
6. नवार्णव मंत्र
7. दस महा-विद्याओं के ध्यान मंत्र
8. माताजी के दिव्य मंत्र
9. अष्ट महासिद्धियाँ
10. नवनिधियाँ
11. मंत्र विवेचन
12. मंत्रबिन्यास
13. बीज प्रबंध
14. बीज मंत्र
15. राशि के अन्तर्गत मंत्र
16. पौराणिक नवग्रह मंत्र
17. मंत्र भेद एवं प्रकार
18. सोहम् साधना
19. मृत्युज़य मंज
20. ब्रह्म
21. एकाक्षरी मंत्र
22. रामचरित मानस के सिद्ध मंत्र
23. हनुमानजी के बिभिन्न मंत्र
24. शनिकारकत्व च साढ़े सती
25. कन्या विवाह-बाधा निवारण
26. भगवन्नाम स्मरण से रोग निवारण
27. द्वादश नाम स्मरण
28. संकटनाशक विष्णु स्तोत्र
29. सुखमय जीवन के सात उपाय
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