लेख-निबंध >> अंतस् अंतस्पद्मा राठी
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जीवनोपयोगी लेखों का अनुपम संग्रह....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सबके जीवन का प्रमुख रूप से ध्येय होता है अपनापन पाना और देना। इस तरह उसकी कार्य पद्दति भिन्नता के तहत होती है। हमारी पांचो उंगलियाँ एक सरीखी नहीं, सहोदर में भी सरीखापन नहीं होता। अतः अपनी छाप छोड़ने के तरीके भी भिन्नता लिए भांति-भांति से प्रकटहोते हैं। किसी का मनोभाव चित्रांकन में उतर जाताहै तो किसी का अक्षरांकन में।
अस्तु! हृदयगत उद्गारों का खजाना है है इस पुस्तक में। चिन्तनशीलता व अनभवों की व्यापकता के साथ ही सारगर्भित एवं भावगम्य आलेखों का समावेश अत्यन्त सुरुचिपूर्ण है। सरल भाषा शैली का संवरा स्वरूप जिससे हर कोई तादात्म्य जोड़ सके।
अस्तु! हृदयगत उद्गारों का खजाना है है इस पुस्तक में। चिन्तनशीलता व अनभवों की व्यापकता के साथ ही सारगर्भित एवं भावगम्य आलेखों का समावेश अत्यन्त सुरुचिपूर्ण है। सरल भाषा शैली का संवरा स्वरूप जिससे हर कोई तादात्म्य जोड़ सके।
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