लेख-निबंध >> स्पन्दन स्पन्दनपद्मा राठी
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जीवनोपयोगी लेखों का अनुपम संग्रह....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति कलाकार है। सभी में कुछ न कुछ विशेषतत्व मौजूद रहता है जो एक दूसरे सभी को सर्वथा भिन्न करता है तथा अपनी-अपनी शैली से जीने लगता है। हमारा जीवन कल्याणकारी बने, दुसरों के लिए मार्गदर्शक बने, इससे ज्यादा खुशी और क्या हो सकती है? यही शैली जब दूसरों के हृदय के संतोष का कारण बनती है तो कलाकार का जीवन सही मार्ग पर उत्प्रेरक व प्रोत्साहक के रूप में समझा जा सकता है।
अक्षरों को सजाना भी व्यक्तित्व का विकास है। जैसे-जैसे हस्त कौशल्य व सौन्दर्य उपस्थित होता जाता है कि अपने आप लगनशीलता अपने चरम पर पहुँच कर आश्चर्य को घड़ती है। प्रबुद्धजनों का यह अनुभव कोई नया नहीं है। निरीक्षण, प्रयोग तथा अहसास के सम्मिलन से मन की कल्पना साकार होती है।कला उपासक की सार्थकता कर्ममय रहते हुये जीने में है और जीवन जीने का अर्थ कुछ विचारों के प्रकटीकरण में व उसमें छुपी हुई श्रद्धा में रहता है।
अक्षरों को सजाना भी व्यक्तित्व का विकास है। जैसे-जैसे हस्त कौशल्य व सौन्दर्य उपस्थित होता जाता है कि अपने आप लगनशीलता अपने चरम पर पहुँच कर आश्चर्य को घड़ती है। प्रबुद्धजनों का यह अनुभव कोई नया नहीं है। निरीक्षण, प्रयोग तथा अहसास के सम्मिलन से मन की कल्पना साकार होती है।कला उपासक की सार्थकता कर्ममय रहते हुये जीने में है और जीवन जीने का अर्थ कुछ विचारों के प्रकटीकरण में व उसमें छुपी हुई श्रद्धा में रहता है।
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