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सुशीला पश्यते गृहे-गृहे

पद्मा राठी

प्रकाशक : संदेश प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8878
आईएसबीएन :000000000000

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जीवनोपयोगी लेखों का अनुपम संग्रह....

Ek Break Ke Baad

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सुशीला उनकी माता जी का नाम है और सुशीला एक भारतीय नारी की छवि भी सामने लाती है। इसलिये मैं चाहती हूं कि हर घर में सुशीला हो। घर-परिवार को सुखमय बनाने के लिए आनंदमय बनाने का काम प्रकृति ने नारी को ही सौंपा है। इसलिए उसे प्रकृति भी कहते हैं।

अपनी इस पुस्तक में पद्मा जी ने जीवन के अनेक पहलू समेटे हैं। प्रेम से लेकर विवाह और व्यंग्य जैसे चुनिंदा विषयों पर उन्होंने कलम चलाई है। आनर किलिंग, प्रवज्या प्रयोग, कन्या भ्रूण हत्या जैसे गंभीर विषयों के साथ ही विभिन्न विषयों पर सोचते हुये पद्मा जी ने एक बात शुरू से अंत तक उठाई है कि घर और समाज कैसे सुखी संपन्न हों?

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