लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> हमारे पूज्य देवी-देवता

हमारे पूज्य देवी-देवता

स्वामी अवधेशानन्द गिरि

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :208
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8953
आईएसबीएन :9788131010860

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

243 पाठक हैं

’देवता’ का अर्थ दिव्य गुणों से संपन्न महान व्यक्तित्वों से है। जो सदा, बिना किसी अपेक्षा के सभी को देता है, उसे भी ’देवता’ कहा जाता है...

मां विंध्यवासिनी

भगवती विंध्यवासिनी आद्या महाशक्ति हैं। विंध्याचल सदा से उनका निवास स्थान रहा है। जगदंबा की नित्य उपस्थिति ने विंध्यगिरि को जाग्रत शक्तिपीठ बना दिया है। 'महाभारत' के विराट पर्व में धर्मराज युधिष्ठिर देवी की स्तुति करते हुए कहते हैं कि हे माता ! पर्वतों में श्रेष्ठ विंध्याचल पर आप सदैव विराजमान रहती हैं। ‘पद्म पुराण' में विंध्याचल-निवासिनी इन महाशक्ति को विंध्याधिवासिनी के नाम से संबोधित किया गया है-विंध्ये विंध्याधिवासिनी।

‘देवी भागवत' के दशम स्कंध में एक कथा है-सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सबसे पहले अपने मन से स्वयंभुव मनु और शतरूपा को उत्पन्न किया। शतरूपा से विवाह करने के उपरांत स्वयंभुव मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर सौ वर्षों तक कठोर तप किया। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भगवती विंध्यवासिनी ने उन्हें निष्कंटक राज्य, वंश-वृद्धि एवं परमपद पाने का आशीर्वाद दिया। वर देने के बाद महादेवी विंध्याचल पर्वत पर चली गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि सृष्टि के प्रारंभ से ही भगवती विंध्यवासिनी की पूजा होती रही है। सृष्टि का विस्तार उनके ही शुभाशीष से हुआ।

त्रेता युग में भगवान श्री रामचंद्र सीता जी के साथ विंध्याचल आए थे। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम द्वारा स्थापित रामेश्वर महादेव से इस शक्तिपीठ का माहात्म्य अधिक बढ़ गया है। द्वापर युग में मथुरा के राजा कंस ने जब अपने बहन-बहनोई देवकी एवं वसुदेव को कारागार में डाल दिया और वह उनकी संतानों का वध करने लगा तो वसुदेव के कुल-पुरोहित गर्ग ऋषि ने कंस के वध एवं श्री कृष्णावतार हेतु विंध्याचल में लक्षचंडी का अनुष्ठान करके देवी को प्रसन्न किया। इसके फलस्वरूप वे नंदराय जी के यहां अवतरित हुईं।

‘मार्कण्डेय पुराण' के अंतर्गत वर्णित 'दुर्गा सप्तशती' (देवी-माहात्म्य) के ग्यारहवें अध्याय में देवताओं के अनुरोध पर भगवती उन्हें आश्वस्त करते हुए कहती हैं, 'हे देवताओ! वैवस्वत मन्वंतर के अट्ठाईसवें युग में शुंभ और निशुंभ नामक दो महादैत्य उत्पन्न होंगे। तब मैं नंद गोप के घर में उनकी पत्नी यशोदा के गर्भ से अवतरित होकर विंध्याचल में जाकर रहूंगी और इन दोनों असुरों का नाश करूंगी।'' इसी प्रकार लक्ष्मी तंत्र' नामक ग्रंथ में भी देवी का यह वचन शब्दशः मिलता है। ब्रज में नंद गोप के यहां उत्पन्न हुई महालक्ष्मी की अंशभूता कन्या का नाम नंदा रखा गया। 'मूर्ति रहस्य' में ऋषि कहते हैं, "यदि नंद के यहां उत्पन्न होने वाली 'नंदा' नामक देवी की भक्तिपूर्वक स्तुति और पूजा की जाए तो ये तीनों लोकों को उपासक के अधीन कर देती हैं।"

'श्रीमद् भागवतपुराण' में श्रीकृष्ण-जन्माख्यान में यह वर्णित है कि देवी विंध्यवासिनी के आठवें गर्भ से आविर्भूत श्रीकृष्ण को वसुदेव जी ने कंस के भय से रातो-रात यमुना जी के पार गोकुल में नंद जी के घर पहुंचा दिया तथा वहां यशोदा के गर्भ से पुत्री के रूप में जन्मी भगवान की शक्ति योगमाया को चुपचाप मथुरा ले आए। आठवीं संतान के जन्म का समाचार सुनकर कंस कारागार में पहुंचा। उसने उस नवजात कन्या को पत्थर पर जैसे ही पटककर मारना चाहा, वैसे ही वह कन्या कंस के हाथों से छूटकर आकाश में पहुंच गई और उसने अपना दिव्य स्वरूप प्रदर्शित किया।

कंस के वध की भविष्यवाणी करके भगवती विंध्याचल वापस लौट गईं। मंत्र शास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ 'शारदा तिलक' में विंध्यवासिनी का नवदुर्गा के नाम से यह ध्यान वर्णित है, जो देवी स्वर्ण-कमल के आसन पर विराजमान हैं, तीन नेत्रों वाली हैं, विद्युत के सदृश कांति वाली हैं; चार भुजाओं में शंख, चक्र, वर और अभयमुद्रा धारण किए हुए हैं, मस्तक पर सोलह कलाओं से परिपूर्ण चंद्र सुशोभित है, गले में सुंदर हार, बांहों में बाजूबंद तथा कानों में कुंडल धारण किए हैं, उन देवी की इंद्रादि सभी देवता स्तुति करते हैं।''

विंध्याचल पर निवास करने वाली तथा चंद्रमा के समान सुंदर मुख वाली इन विंध्यवासिनी देवी के समीप सदाशिव विराजमान हैं। संभवतः पूर्वकाल में विंध्यक्षेत्र में घना जंगल होने के कारण ही भगवती विंध्यवासिनी का नाम नवदुर्गा पड़ा। वन को संस्कृत में अरण्य कहा जाता है। इसी कारण ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी विंध्यवासिनी-महापूजा की पावन तिथि होने से 'अरण्य षष्ठी' के नाम से विख्यात हो गई है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai