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बड़ी बेगम

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :175
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9021
आईएसबीएन :9789350643334

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बड़ी बेगम...

"मैं भी यही समझता हूँ।”

"और आप मि. लियाकत अली?”

"ज़रा पत्र मुझे दीजिए, मैं देखें तो सही पत्र में लिखा क्या है।” उन्होंने पत्र लेने को टेबुल पर हाथ बढ़ाया।

सर लाकहार्ट ने झट से पत्र उठा लिया और कहा, "मैं उसे आपको सुनाये देता हूँ। पत्र में सीमा प्रान्त के गवर्नर सर कनिंघम ने लिखा है कि-मेरे अथक प्रयत्न से पाकिस्तान सरकार ने कबीलेवालों की सहायता से काश्मीर पर हमला

करने का निश्चय किया है, और सीमा प्रान्त के मन्त्री खाँ अब्दुल कथूम खाँ तथा अन्य अधिकारियों ने काश्मीर की सीमा पर अत्यधिक संख्या में कबायलियों की एकत्र कर लिया है।”

"बस इतना ही लिखा है?” पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री मि. लियाकत अली ने तैश में आकर कहा।

"और भी कुछ है। सर कनिंघम ने लिखा है-सम्भवत: यह पत्र आपके पास पहुँचने के पहले ही काश्मीर पर कबायलियों का हमला प्रारम्भ हो सकता है।”

"लेकिन ऐसा पत्र लिखना सर कनिंघम की पक्की नमकहरामी है। क्या पाकिस्तान सरकार ने इसीलिए उन्हें गवर्नर की कुर्सी पर बहाल रखा है कि वे अपनी सरकार की हलचलें हिन्द सरकार के अफसरों को भेजा करें?"

माउण्टबेटन ने सहज शान्त स्वर में कहा, "पहले आप यह बताइए कि बात सच है?”

‘‘यदि सच है तो इसे हिन्द सरकार पर प्रकट करने की कोई आवश्यकता नहीं है।” लार्ड माउण्टबेटन ने धीरे-धीरे फुसफुसाते हुए कहा।

"आपकी बात से मैं सहमत हूँ।” लियाकत अली ने कहा।

"आप सहमत हो सकते हैं परन्तु हिन्द सरकार को तो यह बात तुरन्त मालूम हो जाएगी। पत्र के अनुसार आज प्रात: काश्मीर पर हमला हो चुका। परन्तु क्या कारण है कि उसकी अभी तक कोई सूचना हिन्द सरकार को नहीं मिली?"

"इसका कारण चाहे जो हो, और भले ही हिन्द सरकार को मालूम हो जाए, पर सर कनिंघम का यह पत्र केवल जनरल लाकहार्ट को सूचना-मात्र है, इसपर कोई आफिशियल कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए।”

"किन्तु मैं हिन्द सरकार का नौकर हूँ। अत: मेरा कर्तव्य है कि मैं यह पत्र हिन्द सरकार के सामने उपस्थित करूं।”

"वह आप कर चुके, सर लाकहार्ट, आपने हिन्द के गवर्नर जनरल को पत्र दिखा दिया।” मि. लियाकत अली ने धीमे किन्तु दृढ़ स्वर में कहा।

"किन्तु क्या यह यथेष्ट है? मैं गवर्नर जनरल से निवेदन करता हूँ।”

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