संस्कृति >> 84 फलदायक मंदिर 84 फलदायक मंदिरबनवारी लाल कंछल
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84 फलदायक मंदिर...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मंदिर आस्था के प्रतीक हैं। मंदिरों में स्थापित मूर्ति को उपासक, भक्त और श्रद्धालु साक्षात् इष्ट मानता है। उसका मानना है कि मूर्ति निर्जीव नहीं, पूर्ण चेतन है। प्राण-प्रतिष्ठा होते ही मूर्ति में छिपी सामान्यचेतना पूर्णतया जाग्रत हो जाती है। इसीलिए मूर्ति के दर्शनमात्र से भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है। धर्म-ग्रंथों का कथन है कि जिस मंदिर में मूर्ति की प्रतिष्ठा की जाती है, वह भी दिव्यता से संपन्न होता है, इसलिए उसके दर्शन से भी पुण्य लाभ होता है। इस ग्रंथ द्वारा आप विशिष्ट 84 मंदिरों के बारे में सचित्र, संक्षिप्त और सटीक जानकारी ही प्राप्त नहीं करेंगे, मात्र उनके रंगीन चित्रों के दर्शन कर अपने जीवन को सौभाग्यशाली भी बना सकेंगे।
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