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सामाजिक >> सज्जनता का दण्ड

सज्जनता का दण्ड

प्रेमचंद

प्रकाशक : विश्व बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9271
आईएसबीएन :8179871916

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

कथा सम्राट प्रेमचंद विश्व के उन प्रसिद्ध एवं विशिष्ट कथाकारों की श्रेणी में गिने जाते हैं, जिन्होंने समाज के सभी वर्गों - अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े, जमींदार-किसान, साहूकार-कर्जदार आदि के जीवन और उनकी समस्याओं को यथार्थवादी धरातल पर बड़ी ही सीधी-सादी शैली और सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए एक दिशा देने का प्रयास किया है।

यही कारण है कि प्रेमचंद की कहानियां हिंदी-भाषी क्षेत्रों में ही नहीं, संपूर्ण भारत में आज भी पढ़ी, समझी और सराही जाती हैं। इतना ही नहीं, विदेशी भाषाओं में भी उनकी चुनी हुई कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं।

इसी संदर्भ में प्रस्तुत है समाज आर शासनतंत्र में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करती कहानियों का संग्रह - ‘सज्जनता का दंड’ सरकारी तंत्र में व्याप्त रिश्वत या नजराना ‘विषम समस्या’ के ईमानदार चपरासी गरीब को भी फर्ज के प्रति बेईमान बना देता है वहीं सरदार शिव सिंह जैसा ईमानदार इंजीनियर है जो इस कुचक्र में नहीं फसता। उस की ईमानदारी के इनाम स्वरूप उस का तबादला दूरदराज के इलाके में हो जाता है और रुपयों के अभाव में उसे बेटी का विवाह टूट जाने जैसे दंश भी झेलने पड़ते हैं।

ऐसी हो अनेक समस्याओं का उजागर करता उत्कृष्ट कहानी संग्रह जिसे आप अवश्य पढ़ना चाहेंगे।

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