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कामायनी
कामायनी
प्रकाशक :
राजपाल एंड सन्स |
प्रकाशित वर्ष : 2015 |
पृष्ठ :92
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 9288
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आईएसबीएन :9789350642269 |
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
जयशंकर प्रसाद (1889-1937) का महाकाव्य कामायनी आधुनिक हिन्दी साहित्य की सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति मानी जाती है । इसमें मानवीय संवेदनाओं, विचारों और कर्म का आदान-प्रदान दर्शाया गया है। यह महाकाव्य एक वैदिक कथानक पर आधारित है जिसमें मनु (एक मनुष्य) प्रलय के बाद अपने को बिलकुल भावनाहीन पाता है। फिर कैसे यह अलग-अलग भावनाओं, विचारों और कर्मों में उलझने लगता। कई लोगों का मानना है कि कामायनी के अध्यायों का क्रम इस बात का संकेत देता है कि उम्र के साथ मनुष्य के व्यक्तित्व में कैसे परिवर्तन आता है। यह महाकाव्य छायावादी कविता का सबसे अच्छा उदाहरण माना जाता हैl
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