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दो सखियां
दो सखियां
प्रकाशक :
विश्व बुक्स |
प्रकाशित वर्ष : 2015 |
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 9299
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आईएसबीएन :8179871851 |
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3 पाठकों को प्रिय
369 पाठक हैं
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कथा सम्राट प्रेमचंद विश्व के उन विशिष्ट कथाकारों की श्रेणी में गिने जाते हैं, जिन्होंने समाज के सभी वर्गों - अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े, जमींदार-किसान, साहूकार-कर्जदार आदि के जीवन और उनकी समस्याओं को यथार्थवादी धरातल पर बड़ी ही सीधी-सादी शैली और सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए एक दिशा देने का प्रयास किया है।
यही कारण है कि प्रेमचंद की कहानियां हिंदी-भाषी क्षेत्रों में ही नहीं, संपूर्ण भारत में आज भी पढ़ी, समझी और सराही जाती हैं। इतना ही नहीं, विदेशी भाषाओं में भी उनकी चुनी हुई कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं।
प्रेमचंद की इसी प्रासंगिकता के सदंर्भ में प्रस्तुत है नारी प्रधान पारिवारिक कहानियों का संग्रह - ‘दो सखियां’ यह कथा है ऐसी दो सखियों की, जिनमें एक पति के एकाकी और गंभीर प्रेम को सदा शक की नजर से देखती रही और अंततः उसका प्रेम खो बैठी; जबकि दूसरी ने न केवल पति बल्कि उसके रूठे हुए परिवार को भी अपना बना लिया।
घर-परिवार संबंधी ऐसी ही अन्य रोचक कहानियों का संग्रह, जिसे आप अवश्य पढ़ना चाहेंगे।
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