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गिरगिट
गिरगिट
प्रकाशक :
लोकभारती प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2015 |
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 9318
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आईएसबीएन :9789352210565 |
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4 पाठकों को प्रिय
299 पाठक हैं
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
गिरगिट नमक कथासंग्रह की सभी कहानियां जिज्ञासा-रोचकता-भाव सबलता एवं युगबोध से संपन्न हैं ! आधुनिक भावबोध से युग के सन्दर्भों के यथार्थ को सूक्ष्म विवेचन से और विषय वैविध्य से व्यापक बनाया है ! सभी कहानियां वैचारिक एवं अनुमूल्यात्मक संयोग से युक्त एवं अत्यंत लोकप्रिय हैं ! जीवन के सन्दर्भों का यथार्थ चित्रण विश्म्गत विविधता तथा परिवेशगत विस्तार अनुमूल्यात्मक एवं वैचारिक संयोग तथा शिल्पगत वैशिष्ट्य आपकी कहानियों की विशेषताएं हैं !
आपने समाज में बदलते हुए संबंधों का सूक्ष्म अध्ययन किया है, जिसकी अभिव्यक्ति चारुता से इन कहानियों में हुई है ! गिरगिट रंग बदलने के लिए प्रसिद्धि पा चुका है, किन्तु मानवाकृति को स्वयं से अधिक रंगों में देखकर स्वयं गिरगिट लज्जित बन पराजित है, यही सब अखिलेश निगम द्वारा विरचित कहानियों में दर्शनीय है !
इन सभी कहानियों का वरार्यविषय राष्ट्रीय दृष्टिकोण के परिप्रेक्ष्य में मानव जीवन की समस्याओं का चित्रण है ! कहानीकार का उद्देश्य सर्वत्र सुधारवादी और आशावादी रहा है ! इन कहानियों में कहीं-कहीं एक ही पत्र एक समय में मन के विभिन्न स्तरों पर जीता है, जहाँ चारित्रिक विसंगतियाँ ही कहानी की विशेषता बन गयी हैं !
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