स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक तेल चमत्कारिक तेलउमेश पाण्डे
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पाठकों से दो शब्द
यह सर्वविदित है कि वृक्ष प्रत्यक्ष देवता हैं, इसीलिये हिन्दू समाज में उन्हें देवताओं की भांति पूजा भी जाता है। वे मनुष्य की अनेक प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, हमारे स्वास्थ्य को अक्षुण्य बनाते हैं और अन्य प्रकार की समस्याओं से हमारी रक्षा भी करते हैं। उनसे हमेशा हमें बहुत कुछ प्राप्त होता है, उन्हें हमें उनकी देखभाल के अतिरिक्त कभी कुछ देना नहीं पड़ता है। पौधे हमें अनेक वस्तुयें देते हैं। इनमें अनेक चीजें ऐसी हैं जिनकी प्राप्ति हमें प्रत्यक्ष रूप से होती है। इनमें स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्यवर्द्धक फलों को लिया जा सकता है। अनेक ऐसी चीजें भी हैं जिन्हें वृक्षों से प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त नहीं होती हैं, अपितु उन्हें कुछ प्रयासों के पश्चात् प्राप्त करके लाभ लिया जा सकता है। इनमें से एक प्रमुख एवं उपयोगी वस्तु है- तेल। तेल पौधों से सीधे-सीधे प्राप्त नहीं होता है बल्कि उसे वृक्ष के विभिन्न अंगों से और विशेष विधियों से प्राप्त करना होता है। वनस्पतियों से प्राप्त अन्य पदार्थों की भांति तेल भी मानव मात्र के लिये परम उपयोगी एवं कल्याणकारक होते हैं। वृक्षों से प्राप्त तेलों का प्रयोग औषधीय रूप में प्राचीनकाल से चला आ रहा है और सृष्टि रहने तक होता रहेगा। तेलों का विभिन्न रूपों में प्रयोग करके स्वास्थ्य रक्षा होती है, रोगों से मुक्ति भी प्राप्त होती है, इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे चमत्कारिक प्रयोग भी किये जा सकते हैं जो मनष्य को जीवन में आने वाली अनेक प्रकार की समस्याओं से मुक्त करते हैं। इनमें ऐसे बहुत से प्रयोग हैं जिनसे आम पाठक परिचित नहीं है।
पौधों से प्राप्त अनेक सामान्य तेलों से हम सब भलीभांति परिचित हैं। इनका हम दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं किन्तु हममें से अधिकांश व्यक्ति उन तेलों में छिपी हुई दिव्यता से अनभिज्ञ हैं, ऐसा मेरा मानना है। दरअसल तेलों की इन विशेषताओं से पूर्व में मैं भी भिज्ञ नहीं था किन्तु ईश्वर की कृपा से समय-समय पर अनेक सिद्ध-महात्माओं से भेंट हुई, उनके दर्शन लाभ हुये और उन्हीं के सानिध्य से मुझे तेलों के अनेक दिव्य गुणों की जानकारी हुई। लोक अंचल में अनेक बुजुर्गों एवं ज्ञानियों के सम्पर्क ने इस ज्ञान में और भी वृद्धि की। तेलों की इतनी दिव्यता एवं उपयोगिता के बारे में जानकर मेरी उत्सुकता बढ़ती चली गई। इस विषय पर मैंने काफी काम किया और अनेक रहस्यों को जानने में सफल भी हुआ। एक लम्बे समय तक मैं इस विषय पर शोध कार्य करता रहा। बाद में मैंने यह निश्चय किया कि तेलों की उपयोगिता एवं दिव्यता के बारे में पाठकों को भी परिचित कराया जाना चाहिये, इसलिये मैंने तेलों के बारे में जितना भी जाना-समझा, उस सभी को इस पुस्तक के रूप में लिपिबद्ध कर दिया है।
इस विश्वास के साथ कि इन्हें जानकर, इनका प्रयोग करके पाठकगण अवश्य ही लाभान्वित होंगे। मेरा यह प्रयास कहां तक सफल हुआ है, इसका निर्णय मैं आप पर छोड़ता हूँ। इस पुस्तक मे मैंने जितने भी तेलों का वर्णन किया है, वे आसानी से उपलब्द हो जाते हैं या फिर उन्हें आसानी से बनाया जा सकता है उनके औषधीय अथवा अन्य दिव्य प्रयोग भी सरल निरापद एवं प्रभावी हैं। इनके प्रयोग से वांछित परिणामों की प्राप्ति अवश्य होगी, इसमे संदेह नहीं है। प्रश्न आपके विश्वास, श्रद्धा एवं धैर्य का है। हां, इनमें जिन औषधीय प्रयोगों में तेल को ग्रहण करने के लिये कहा गया है, वहां आप उन्हें किसी योग्य वैद्य के परामर्श एवं निर्देशन में ही करें। हालांकि चमत्कारिक तेल पुस्तक मे वर्णित यथासम्भव अधिकाश प्रयोगों को मैंने ऐसे ही लिखा है कि वे आपके लिये निरापद रहें।
किसी भी अच्छे कार्य को अच्छे स्वरूप मे प्रस्तुत करने मे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष अनेक व्यक्तियों का सहयोग रहता है। इस पुस्तक के लेखन एव प्रकाशन मे भी मुझे बहुत अधिक सहयोग प्राप्त हुआ है। उन सबके प्रति मैं बहुत आभारी हूँ।
चमत्कारिक तेल पुस्तक को आप तक पहुचाने में श्री मोहन कुमारजी कश्यप, प्रकाशक निरोगी दुनिया प्रकाशनन का मैं विशेष आभारी हूँ क्योंकि यह उन्हीं की प्रेरणा का प्रतिफल है। साथ ही मैं स्व. श्री बसंतकुनार जी जोशी, स्व. श्री भालचंद्र जी उपाध्याय श्री अर्जुनदास मिगलानी, डॉ. प्रफुल्ल दवे, बाबा बालकदास जी. डॉ. ताराचंद रूपाले श्री नागेश्वर बाबा श्री एल.के.एस. चौहान श्री जी.पी. तिवारी डॉ. (प्रो.) वी.बी. दीवानजी डॉ. (प्रो.) सी.एम. सोलखा खॉ (प्रो.) एम.एल. गंगवाल श्री दीपक मिश्रा (President, VDS Grourp) एवं सुधाकर पुरोहित तथा मेरे अन्य बहुत से शुभचिन्तकों एव मार्गदर्शकों का आभारी हूँ जिन्होने इस पुस्तक के निर्माण में अत्यधिक सहयोग प्रदान किया।
कोई भी चीज अपने आपने कभी सम्पूर्ण नहीं होती है। जिस किसी चीज को प्रस्तुत किया जाता है उसमें कुछ चुटिया रह जाती हैं तथा कुछ विषय छूट जाते हैं जिसकी तरफ ध्यान नहीं जाता है। इस पुस्तक के बारे में भी ऐसा होना स्वाभाविक है। इसलिये मैं अपने प्रबुद्ध पाठकों एवं अन्य विद्वजनों से अपेक्षा करता हूँ कि वे मुझे तथा मेरे प्रकाशक को इस बारे मे अवगत करायेंगे। आपके सुझाव ही हमारा मार्गदर्शन करते है और इसके साथ-साथ निरन्तर और अच्छा करने की प्रेरणा भी देते है।
चमत्कारिक तेल पुस्तक के सम्बन्ध में आपके सुझावो एवं आलोचनाओं की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।
यह पुस्तक मेरी बेटी कुमारी पायल पाण्डे (बोक्की) को समर्पित है।
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- जीवन का आधार हैं तेल
- तेल प्राप्त करने की विधियां
- सम्पीड़न विधि
- आसवन विधि
- साधारण विधि
- तेलों के सम्बन्ध में कुछ विशेष जानकारियां
- नारियल का तेल
- अखरोष्ट का तेल
- राई का तेल
- करंज का तेल
- सत्यानाशी का तेल
- तिल का तेल
- दालचीनी का तेल
- मूंगफली का तेल
- अरण्डी का तेल
- यूकेलिप्टस का तेल
- चमेली का तेल
- हल्दी का तेल
- कालीमिर्च का तेल
- चंदन का तेल
- नीम का तेल
- कपूर का तेल
- लौंग का तेल
- महुआ का तेल
- सुदाब का तेल
- जायफल का तेल
- अलसी का तेल
- सूरजमुखी का तेल
- बहेड़े का तेल
- मालकांगनी का तेल
- जैतून का तेल
- सरसों का तेल
- नींबू का तेल
- कपास का तेल
- इलायची का तेल
- रोशा घास (लेमन ग्रास) का तेल
- बादाम का तेल
- पीपरमिण्ट का तेल
- खस का तेल
- देवदारु का तेल
- तुवरक का तेल
- तारपीन का तेल
- पान का तेल
- शीतल चीनी का तेल
- केवड़े का तेल
- बिडंग का तेल
- नागकेशर का तेल
- सहजन का तेल
- काजू का तेल
- कलौंजी का तेल
- पोदीने का तेल
- निर्गुण्डी का तेल
- मुलैठी का तेल
- अगर का तेल
- बाकुची का तेल
- चिरौंजी का तेल
- कुसुम्भ का तेल
- गोरखमुण्डी का तेल
- अंगार तेल
- चंदनादि तेल
- प्रसारिणी तेल
- मरिचादि तेल
- भृंगराज तेल
- महाभृंगराज तेल
- नारायण तेल
- शतावरी तेल
- षडबिन्दु तेल
- लाक्षादि तेल
- विषगर्भ तेल