उपन्यास >> रहस्य-रोमांच
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पहली क्रान्तिवेद प्रकाश शर्मा
मूल्य: $ 4.95 |
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रूक गई धरतीवेद प्रकाश शर्मा
मूल्य: $ 4.95 |
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तीसरी क्रान्तिवेद प्रकाश शर्मा
मूल्य: $ 4.95 |
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दमन चक्रसुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 9.95 |
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6 करोड़ का मुर्दासुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 9.95 |
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जौहर ज्वालासुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 9.95 |
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हजार हाथसुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 9.95 |
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विनाशदूत विकास, विकास की वापसीवेद प्रकाश शर्मा
मूल्य: $ 6.95 |
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तीन तिलंगे, आग लगे दौलत कोवेद प्रकाश शर्मा
मूल्य: $ 6.95 |
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हमशक्लअनिल मोहन
मूल्य: $ 6.95 |
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धोखासुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 5.95 धोखा देना और धोखा खाना इंसानी फितरत है, जो इस लानत से आजाद है वो जरूर जंगल में रहता है।... आगे... |
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मिडनाइट क्लबसुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 5.95 खोटे सिक्के की खोटी तकदीर ने इस बार जीते को कहाँ ले जाकर पटका?... आगे... |
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प्यादासुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 5.95 वो किस बिसात का प्यादा था? कौन था वो शातिर खिलाड़ी जो उसे मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा था?... आगे... |
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गवाहीसुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 5.95 गवाही गवाह के नहीं, इंस्पेक्टर नीलेश गोखले के गले की फांस बन गयी। क्योंकि गवाह खास था... आगे... |
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मौत का खेल दौलत और खूनसुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 5.95 अपनी सैलाब जैसी जिंदगी में ठहराव तलाशता अपने अतीत से शर्मिन्दा वर्तमान से आशंकित और भविष्य से आतंकित ऐसा शख्स क्राइम की दुनिया में एक ही था... आगे... |
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तीसरा वारसुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 5.95 परमीत मेहरा को रंगीला राजा, मनचला, मजनू, छैला बाबू, रोमियो, कैसानोवा, प्लेब्वाय जैसे कई नामों से पुकारा जा सकता था... आगे... |
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जाना कहांसुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 8.95 इश्तिहारी मुजरिम, बैंक डकैत, नृशंस हत्यारा, अंडरवर्ल्ड डॉन फिर भी गुनाह के अंधड़ में खूंट से उखड़ा अपनी सलामती के लिए पनाह मांगता... आगे... |
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नकाबसुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 5.95 संजीव सहगल चमत्कारों में आस्था रखने वाला व्यक्ति था जो समझता था कि खास आशीर्वाद प्राप्त खास नगों वाली खास अंगूठियां... आगे... |
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प्रेम की भूतकथाविभूति नारायण राय
मूल्य: $ 11.95 ‘प्रेम की भूतकथा’ मसूरी के इतिहास में लगभग विलुप्त हो चुके एक विचित्र घटना-क्रम से उत्पन्न एक अत्यन्त पठनीय उपन्यास... आगे... |
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पैंसठ लाख की डकैतीसुरेन्द्र मोहन पाठक
मूल्य: $ 7.95 भारत बैंक का वाल्ट खोलना तो दूर, उसके पास भी फटकना असम्भव कृत्य था। वाल्ट का बख्तरबंद दरवाजा खुद उसे बंद करने वाला नहीं खोल सकता था। फिर भी वाल्ट लुट गया... आगे... |