लोकभारती प्रकाशन की पुस्तकें :
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रानी कैकेयी का सफरनामाप्रभात कुमार भट्टाचार्य
मूल्य: $ 9.95 उज्जैन से टाटानगर के करीब चालीस घण्टों के सफर का सफरनामा... आगे... |
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राम उत्कर्ष का इतिहासश्रीराम मेहरोत्रा
मूल्य: $ 30.95 |
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रामकथाकामिल बुल्के
मूल्य: $ 20.95
सुयोग्य लेखक ने इस ग्रंथ की तैयारी में कितना परिश्रम किया है यह पुस्तक के अध्ययन से ही समझ में आ सकता है। रामकथा से सम्बन्ध रखने वाली किसी भी सामग्री को आपने छोड़ा नहीं है। आगे... |
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रामकृष्ण परमहंसरोमां रोलां
मूल्य: $ 9.95 मुझे एक ऐसे महापुरुष के चरणों में बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है - जिसका जीवन उसकी समस्त शिक्षाओं व उपदेशों की अपेक्षाकृत हजारों गुणा अधिक उपनिषदों की वाणी की एक उत्कृष्ट जीवित व्याख्या है आगे... |
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रामचरितमानस : विज्ञान के महासागरएस पी गौतम
मूल्य: $ 22.95 |
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रामचरितमानस के रचनाशिल्प का विष्लेषणयोगेन्द्र प्रताप सिंह
मूल्य: $ 19.95 गोस्वामी तुलसीदास की अजेय कृति श्रीरामचरितमानस की रचनासामर्थ्य की मौलिकता का विश्लेषण परंपरा से मुक्त होकर करना - इस कृति का मंतव्य है आगे... |
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रामना पिटोहीरालाल शुक्ल
मूल्य: $ 9.95 यह पुस्तक रामकथा के बहाने जनजातियों की तरफ से उनकी विरासत का परिचय और उनके अपने अस्तित्व की गाथा भी प्रस्तुत करती है आगे... |
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रामना वेसोडहीरालाल शुक्ल
मूल्य: $ 9.95 रामना वेसोड़' के माध्यम से दण्डामी अपने विगत वैभव से पुन: जुड़ सकें, इस पुस्तक के ज़रिए बस यही विनम्र प्रयास है आगे... |
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रामराज्य की कथायशपाल
मूल्य: $ 4.95 भारत में ब्रिटेन की शासन व्यवस्था एक बोतल के रुप में थी जिसमें शोषण के अधिकार सुरक्षित थे। आगे... |
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रामलीला की उत्पत्ति तथा विकासमोहन राम यादव
मूल्य: $ 20.95
भक्ति-संप्रदाय में वे भगवान् के अवतार माने जाते हैं। अतः उनके चारित्रिक गुण एवं जीवन का ज्ञान बड़े उत्साह से प्राप्त किया जाता है। रामलीला का आयोजन भारत में तो अत्यन्त प्राचीन काल से होता ही रहा है, विदेशों में भी सहस्त्रो वर्षों से बसे भारतीय इसे अक्षुण्ण बनाये हुए हैं। इस प्रकार रामलीला ने विदेशों में स्थापित भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध को ऐसा दृढ बना दिया है कि सहस्त्रों वर्षों तक निरंतर प्रयत्न करते रहने पर भी काल उसे नष्ट करने में समर्थ नहीं हो सका है। इसमें सांस्कृतिक जीवन कि ऐसी महत्तपूर्ण झाँकी मिलती है जो इस युग में भी समस्त क्षेत्रों में मानव का पथ-प्रदर्शन करने में सर्वथा समर्थ है। आगे... |