राधाकृष्ण प्रकाशन की पुस्तकें :
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तो अंग्रेज़ क्या बुरे थेरविन्द्र बड़गैयाँ
मूल्य: $ 2.95 ‘तो अंग्रेज क्या बुरे थे’ व्यंग्य-मिश्रित ललित गद्य का दिलचस्प उदाहरण है। आगे... |
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त्रिशंकुमन्नू भंडारी
मूल्य: $ 8.95 एक निश्चित कालखंड की कहानियों का प्रतिनिधित्व करतीं त्रिशंकु... आगे... |
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थलचरकुमार अंबुज
मूल्य: $ 14.95 यह पल मुझे साथ लेकर जीवन की किसी नई यात्रा पर ले जाने की जि़द पर अड़ गया है। आगे... |
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दयारे हयात मेंकुमार नयन
मूल्य: $ 14.95
गजलें इश्को-मुहब्बत से सराबोर हैं तो हालाते-हाजरा की मंजरकशी करती हुई अवाम की दुखती रंगों को छूती भी हैं। अपने वक़्त और समाज के तकाजों को पूरा करती हुई नाइंसाफी, जुल्मो-सितम, बंदिशों के खिलाफ चुप्पी तोड़ने की शाइस्तगी से तरफदारी भी करती हैं। आगे... |
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दलित वैचारिकी की दिशाएंबद्री नारायण
मूल्य: $ 10.95
दलित वैचारिकी की दिशाएं... आगे... |
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दलित साहित्य : अनुभव संघर्ष एवं यथार्थओमप्रकाश वाल्मीकि
मूल्य: $ 12.95
"दलित साहित्य : संघर्ष, पहचान और सामाजिक परिवर्तन की तलाश।" आगे... |
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दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्रओमप्रकाश वाल्मीकि
मूल्य: $ 13.95
"दलित साहित्य : सीमाओं को चुनौती, समानता और सामाजिक परिवर्तन की तलाश।" आगे... |
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दशक्रियाबाबा भांड
मूल्य: $ 14.95 मराठी के प्रख्यात कथाकार बाबा भांड के इसी नाम से मराठी में प्रकाशित उपन्यास का हिन्दी अनुवाद... आगे... |
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दहनसुचित्रा भट्टाचार्य
मूल्य: $ 10.95 इसमें औरत को अपने जुल्म और अत्याचार का शिकार बनाने वाले मर्दों के खिलाफ सामाजिक इंसाफ की वकालत का वर्णन है... आगे... |
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दिगन्त की ओरविपिन बिहारी मिश्र
मूल्य: $ 9.95 जीवन और समाज की विडम्बनाओं और विद्रूपताओं पर आधारित उपन्यास... आगे... |